असल न्यूज़:-बुधवार को ही सिंघु बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह कानून किसानों की जमीन छीनने का कानून है। कानून वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकार नौजवानों को फंसाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन लंबा चलने वाला है, किसानों को अपना मनोबल कमजोर नहीं करना है। यह आंदोलन किसी एक संगठन का नहीं, सभी संगठन पहले भी साथ थे और अब भी साथ हैं। हम सरकार से बातचीत के लिए अभी भी तैयार हैं। टिकैत ने पत्रकारों के खिलाफ लगातार दर्ज हो रहे मुकदमों पर कहा कि बंदूकों का पहरा कैमरों और कलम पर भी है।
किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू, प्रदेश महासचिव सरवन सिंह पंधेर और राज्य कमेटी के सदस्य सविंदर सिंह चताला और जसवीर सिंह पिद्दी ने कहा कि तीनों कृषि कानून कॉरपोरेट्स के लिए बनाए गए हैं, जिसकी पुष्टि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के बयान से भी होती है। उनका बयान विश्व व्यापार संगठन के दबाव का एक सबूत है। इसलिए, किसानों और श्रमिकों से आग्रह है कि वे कॉरपोरेट घरानों के उत्पादों का तेजी से बहिष्कार करें।
हरियाणा से मिले समर्थन से किसान संगठन खुश
हरियाणा के स्थानीय इलाकों से आंदोलन को मिल रहे समर्थन से किसान संगठनों में बेहद खुशी है। उनका कहना है कि हरियाणा और पंजाब कंधे से कंधा मिलाकर किसान आंदोलन को कामयाब बनाने की मुहिम चला रहे हैं। यह आंदोलन अब सिर्फ हरियाणा और पंजाब का नहीं, बल्कि व्यापक हो चुका है। इसमें सिर्फ हरियाणा ही नहीं बल्कि कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों से किसान समर्थन के लिए पहुंच रहे हैं। जब तक नए कृषि कानून पर सरकार अपने फैसले को वापस नहीं ले लेती, हम अपनी मांगों को लेकर यहीं पर डटे रहेंगे।