देश के शीर्ष उद्योगों में शुमार अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को विदेशी कोयले को देश के बड़ी ऊर्जा उत्पादक कंपनी को आपूर्ति करने का एक बड़ा काम मिला है। पिछले साल देश में कोयले की कमी से बिजली उत्पादन समेत कई कामों पर असर पड़ा था। इसको देखते हुए यह एक बड़ी डील है। मीडिया खबरों के मुताबिक पिछले अक्टूबर में सरकारी क्षेत्र की एनटीपीसी लिमिटेड ने दो वर्षों में पहली बार कोयला आयात के लिए टेंडर निकाला था। इसी के तहत यह जिम्मेदारी दी गई है। देश में आयातित तापीय कोयले के सबसे बड़े कारोबारी अडानी को इसमें एक मिलियन टन कोयले आपूर्ति का ठेका मिला है.
इस बीच सरकारी क्षेत्र के दामोदर वैली कार्पोरेशन लिमिटेड कोलकाता भी अडानी से अपने बिजली संयंत्रों को समान मात्रा में आपूर्ति के प्रस्ताव के बारे में विचार कर रही है। भविष्य में यह डील भी होने की संभावना है।दरअसल कोयला आपूर्ति में कमी की वजह से घरेलू बिजली उत्पादकों पर इसके भंडार को बढ़ाने का दबाव है। बढ़ती मांग से देश को पिछले साल की दूसरी छमाही में कमी से जूझना पड़ा। इससे कुछ राज्यों में बिजली की कमी हो गई और बिजली से चलने वाले उद्योगों पर अंकुश लग गया था।
ईंधन आयात पर निर्भरता कम करने की सरकार की प्रतिबद्धता के बावजूद विदेशों से कोयला खरीदने का निर्णय लिया गया है। देश के बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी लगभग 70% है, और अगले कुछ वर्षों में खपत बढ़ने का अनुमान है। हालांकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नवीकरणीय ऊर्जा को जोड़ने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित 17,000 करोड़ रुपये की लागत की 594 किमी लंबे छह लेन गंगा एक्सप्रेसवे का काम अडानी समूह को मिला था। इसमें आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स भी शामिल हैं। एक्सप्रेसवे देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बताया जा रहा है। जहां विपक्ष भाजपा पर अडानी-अंबानी पर मेहरबान होने का आरोप लगाती है, वहीं अडानी समूह को गंगा एक्सप्रेसवे का काम मिलना फिर से चर्चा का विषय बन गया है। अडानी समूह गंगा एक्सप्रेस वे में बदायूं से प्रयागराज तक 464 किमी का निर्माण करेगा। जिसमें इस प्रस्तावित एक्सप्रेसवे का 80% कार्य तीन समूहों में शामिल है।