असल न्यूज़: आम आदमी के साथ कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों पर भी खुदरा महंगाई का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. श्रम मंत्रालय ने जून के आंकड़े जारी कर बताया कि बीते महीने खेतिहर मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 6.43 फीसदी पहुंच गई, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के मजूदरों के लिए यह 6.76 फीसदी रही. मई में यह खेतिहर मजदूरों के लिए 6.67 और ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों के लिए 7 फीसदी थी.
श्रम मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, अगर पिछले साल जून की बात करें तो खेतिहर मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई दर 3.83 फीसदी थी, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों के लिए यह दर 4 फीसदी तक सीमित थी. मंत्रालय ने बताया कि जून में कृषि मजदूरों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-एएल) 1,125 अंक था, जबकि ग्रामीण श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आरएल) 1,137 अंक रहा. वार्षिक आधार पर दोनों में तेजी आई है. इससे पहले मई में सीपीआई-एएल 1,119 अंक जबकि सीपीआई-आरएल 1,131 अंक रहा था.
दोगुनी हो गई खाद्य महंगाई दर
मंत्रालय के अनुसार, खुदरा महंगाई बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका खाने-पीने की वस्तुओं की रही, जिसकी कीमतों ने महंगाई का दबाव और बढ़ा दिया. जून में खेतिहर मजदूरों के लिए खाद्य महंगाई दर बढ़कर 5.09 फीसदी पहुंच गई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 2.67 फीसदी थी. इसी तरह, ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों के लिए खाद्य महंगाई दर इस साल जून में बढ़कर 5.16 फीसदी पहुंच गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 2.86 फीसदी थी.
इन खाद्य वस्तुओं ने बढ़ाई महंगाई
श्रम मंत्रालय का कहना है कि इस साल जून में कृषि क्षेत्र के मजदूरों की खुदरा महंगाई में अकेले 3.69 फीसदी हिस्सेदारी खाद्य क्षेत्र की रही, जबकि ग्रामीण मजदूरों के मामले में यह हिस्सेदारी 3.79 फीसदी पहुंच गई. जून में महंगाई बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका चावल, गेहूं-आटा, ज्वार, मक्का, दूध, मांस, मछली, मुर्गी, सूखी मिर्च, मिश्रित मसाले, सब्जियां और फलों के दाम बढ़ने की रही है.
किस राज्य में सबसे ज्यादा रही महंगाई
अगर खेतिहर मजदूरों की बात करें तो जून में 19 राज्यों ने 10 अंकों की वृद्धि दर्ज की है. इसमें तमिलनाडु 1,299 अंकों के साथ सबसे ऊपर रहा, यानी यहां महंगाई सबसे ज्यादा रही. हिमाचल प्रदेश 884 अंकों के साथ सबसे नीचे रहा, जिसका मतलब है कि यहां खेतिहर मजदूरों पर महंगाई की मार सबसे कम पड़ी है. ग्रामीण मजदूरों के लिए 20 राज्यों में 10 अंकों का उछाल दर्ज किया गया. इसमें भी तमिलनाडु 1,289 अंकों के साथ सबसे ऊपर और हिमाचल प्रदेश 935 अंकों के साथ सबसे नीचे रहा है.