नीति सैन: बाहरी उत्तरी दिल्ली के समय पुर बदली थाने में दायर एक याचिका के लिए निरीक्षण का किया दावा और SHO से मांग लिए 5 लाख रुपये अन्यथा जाएगी नौकरी। पुलिस ने जांच की तो हाई कोर्ट का यह जज नकली निकला जो पुलिस अधिकारियों को व्हाट्सएप मैसेज करके एक्सटॉर्शन का काम करता था। 16 दिसंबर 2022 को समय पुर बादली क्षेत्र के ACP को एक मोबाइल नंबर से व्हाट्सएप मैसेज आया कि वह हाई कोर्ट का सिटिंग जज है, जिसके आगे उसने अपना नाम लिखा और मुझे तुरंत कॉल करें।
उस नंबर पर जब पुलिस द्वारा कॉल की गई तो दूसरे पक्ष ने बताया कि वह समय पुर बादली पुलिस स्टेशन से संबंधित एक याचिका के सिलसिले में आज पांच बजे समयपुर बादली थाने का दौरा करेगा इसकी सूचना SHO समयपुर बादली को दे दी गई। दिए गए समय जब SHO संजय कुमार अपने कार्यालय में थे तभी एक 60 से 65 वर्ष की आयु का बुजुर्ग टाटा नैनो कार में आया और खुद को दिल्ली हाई कोर्ट का न्यायाधीश बताया। थाना क्षेत्र में चल रहे अपराध के संबंध में दायर एक याचिका का सत्यापन करने के लिए वह खुद आया है। आगे उसने एक दिन पहले एक हेड कॉन्स्टेबल के मामले को भी सुलझाने की कोशिश की। साथ ही उस याचिका को रद्द करने के लिए न्यायधीश बनकर आए शख्स ने उससे रिश्वत के तौर पर 5 लाख रुपये की मांग की गई और कहा कि वरना उसकी नौकरी जा सकती है। SHO समयपुर बादली को शख्स पर शक हुआ और दिल्ली हाईकोर्ट से संपर्क किया और बताया कि इस तरह से एक शख्स आया है तो तुरंत मामला खुल गया इस नकली जज की पहचान नरेंद्र कुमार अग्रवाल के रूप में हुई है जो आदर्श नगर का रहने वाला है। यह शख्स दिल्ली के फिल्मीस्तान क्षेत्र का मूल निवासी है और 11वीं क्लास तक इन्होंने पढ़ाई की है।
1980 में भी इसके ऊपर 2 मामले दर्ज हुए थे। 1980 में इनकी पहली शादी हुई थी जिसके 2 बच्चे है। उस पत्नी का निधन 1995 में हो गया और 1996 में फिर इन्होंने एक कंप्यूटर ऑपरेटर से दोबारा शादी की जो इसी के कार्यालय में काम करती थी। तीन बच्चे दूसरी पत्नी के है। 2011 में इनकी वर्तमान पत्नी ने इनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया और यह कई बार उस मामले में कोर्ट में गए और न्यायाधीशों की शक्ति के बारे में जाना और पुलिस के निर्देश भी देखें इसलिए इसने खुद को न्यायधीश बताकर पुलिस अधिकारियों को ही फोन करने शुरू कर दिए