कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा 10 राज्यों के 52 जिलों से होते हुए अंबाला पहुंची। यात्रा करीब तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर चुकी है। राहुल को विपक्ष के अलग-अलग दलों का समर्थन भी मिल चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल को इस यात्रा के बाद विपक्ष की तरफ से सर्वमान्य नेता मान लिया जाएगा और अब तक किन-किन दलों ने राहुल की इस यात्रा को समर्थन दिया है? आइए समझते हैं…
विपक्ष से किसका मिला साथ?
राहुल की यात्रा को समर्थन की शुरुआत तमिलनाडु से ही हुई। यहां सत्ताधारी द्रमुक के नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन स्टालिन कई बार कांग्रेस और राहुल गांधी की तारीफ कर चुके हैं। स्टालिन कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा से लोगों के अंदर नई ऊर्जा पैदा हुई है। राहुल गांधी सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाली राजनीति का विरोध करते हैं। यह खूबी उन्हें भाजपा की संकीर्ण राजनीति का काट बनाती है। कांग्रेस पुनरुत्थान के पथ पर है। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी प्रासंगिकता खत्म नहीं हुई है। कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए सोनिया गांधी की तरफ से हुए प्रयासों का फायदा मिलना शुरू हो गया है।
महाराष्ट्र से शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट, एनसीपी, जम्मू कश्मीर से पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला जैसे बड़े नेताओं का भी राहुल गांधी को समर्थन मिल चुका है। उद्धव गुट से आदित्य ठाकरे, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने यात्रा में हिस्सा लिया था।
यूपी में केवल पीस पार्टी ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को समर्थन दिया है। पार्टी के अध्यक्ष डॉ. याकूब ने यात्रा में शामिल होने के लिए कहा। वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले तो यात्रा के लिए निमंत्रण पत्र मिलने की बात से इनकार किया, लेकिन बाद में राहुल गांधी की चिट्ठी मिली तो उन्होंने यात्रा के लिए उन्हें बधाई दी। हालांकि, वे यात्रा में शामिल नहीं हुए।
एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा कि राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर सभी विपक्षी दलों को एकसाथ ला सकते हैं। राहुल ने दिखा दिया है कि वो कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं। राहुल गांधी के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। वे भविष्य में विपक्षी दलों के बीच आम सहमति बनाने में मदद करेंगे।
भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने पर फारूक अब्दुल्ला ने राहुल गांधी को गले लगाया। इसके पहले अब्दुल्ला ने राहुल की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के जरिए देशभर में लोगों को कांग्रेस ने एकजुट किया है। राहुल काफी मेहनत कर रहे हैं। पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने भी राहुल गांधी की इस यात्रा में शामिल होने का एलान किया है।
तो क्या राहुल होंगे विपक्ष से पीएम के उम्मीदवार?
इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को ज्यादा फायदा तो नहीं हो पाया, लेकिन राहुल गांधी की छवि जरूर बदली है। राहुल गांधी अब नए तेवर और कलेवर के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसका फायदा उन्हें आगामी चुनावों में मिल सकता है। हालांकि, अभी तो नहीं लगता कि विपक्ष एकजुट होकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ेगा। कुछ दल जरूर अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस के साथ आ सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव से पहले कोई गठबंधन नहीं बनेगा। क्षेत्रीय दल अपना-अपना फायदा देखेंगे और राष्ट्रीय दल अपना। यही कारण है कि कुछ दिन पहले जो दल और नेता राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने में जुटे थे, उन्होंने भी राहुल गांधी की इस यात्रा से खुद को किनारे कर लिया। इनमें पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं।’
विपक्ष से और कौन-कौन पीएम पद का दावेदार हो सकता है?
- ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी प्रधानमंत्री पद की दावेदार हो सकती हैं। अभी लोकसभा में टीएमसी के 23 लोकसभा सदस्य और 13 राज्यसभा सदस्य हैं। ममता ने 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कई राज्यों में पार्टी का विस्तार शुरू कर दिया है। अगर चुनाव में टीएमसी अच्छा प्रदर्शन कर लेती है तो ममता की दावेदारी और मजबूत हो जाएगी। - नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार भी भाजपा से अलग होने के बाद से विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। नीतीश की पार्टी के पास अभी 16 लोकसभा सदस्य और पांच राज्यसभा सदस्य हैं। नीतीश कुमार को आरजेडी का भी साथ मिला हुआ है। आरजेडी के पास अभी छह राज्यसभा सदस्य हैं। अगर दोनों मिलकर 2024 लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो नीतीश कुमार की दावेदारी और मजबूत हो सकती है। - शरद पवार
विपक्ष के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक शरद पवार भी पीएम पद के दावेदारों में हैं। अगर किसी एक नाम पर विपक्ष की सहमति नहीं बनती है तो पवार का नाम आगे हो सकता है। पवार को विपक्ष के सभी दल अपना समर्थन दे सकते हैं। - के. चंद्रशेखर राव
तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने खुलकर खुद को कभी पीएम पद का उम्मीदवार नहीं बताया, लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि वे विपक्षी दलों को एकजुट करके खुद को पीएम उम्मीदवार बनाने में जुटे हैं। राव ने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए टीआरएस का नाम बदलकर भारतीय राष्ट्र समिति भी कर दिया है। राव की पार्टी के पास अभी लोकसभा में नौ और राज्यसभा में सात सांसद हैं।