दिल्ली के सरकारी शिक्षकों की फिनलैंड जाकर प्रशिक्षण लेने की फाइल अटकाने का मामला अब गरमा गया है। बीते तीन दिनों से इस मुद्दे पर आप सरकार और उपराज्यपाल आमने-सामने हैं। एक ओर जहां केजरीवाल और मनीष सिसोदिया समेत पूरी पार्टी उपराज्यपाल पर शिक्षकों की फाइल रोकने का आरोप लगा रही है, वहीं एलजी दफ्तर से लगातार इस बात का खंडन किया जा रहा है।
आज दिल्ली विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र का पहला दिन था और आज ही इस मुद्दे पर हंगामे के चलते सदन को एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आप विधायकों ने एलजी सचिवालय तक पैदल मार्च निकाला, जहां उन्हें एक किलोमीटर पहले ही रोक लिया गया। जानिए क्या है दोनों पक्षों की बात-
आम आदमी पार्टी क्या कहती है-
इस मुद्दे पर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘लोगों द्वारा चुनी हुई दिल्ली सरकार शिक्षकों की फिनलैंड में ट्रेनिंग करवाना चाहती है तो LG को क्या दिक्कत है? क्यों वो बच्चों की अच्छी शिक्षा के खिलाफ हैं? एलजी के पास इसे रोकने का कोई अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इसकी साफ-साफ व्याख्या की है।
वहीं केजरीवाल ने कहा, कोई एलजी को कहे कि वो सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता तो जनतंत्र नहीं बचेगा हम “शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड जाने दो” के लिए एलजी हाउस मार्च कर रहे हैं। एलजी ने मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टरों, मार्शलों की सैलरी, दिल्ली जलबोर्ड की पेमेंट रोकी। एलजी एक, सलाहकार रखें जो सुप्रीम कोर्ट-संविधान की समझ रखता हो।
एलजी दफ्तर के सूत्रों का ये है दावा-
एलजी दफ्तर के सूत्रों के हवाले से जानकारी है कि एलजी ने शिक्षकों के फिनलैंड जाकर ट्रेनिंग की फाइल नहीं रोकी है। इसे लेकर जानबूझकर गलत बातें फैलाई जा रही हैं। एलजी द्वारा सरकार को इस पूरे कार्यक्रम के फायदे का अवलोकन करने के लिए कहा गया है कि क्या जितना पैसा शिक्षकों को विदेश भेजकर खर्च किया जा रहा है उस स्तर की पढ़ाई बच्चों को मिल रही है। एलजी का ये भी कहना है कि उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि देश में अगर कोई ऐसा ट्रेनिंग प्रोग्राम हो तो उस पर भी विचार करें।