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Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा- राजधानी में कैसे लागू होगा पटाखों पर प्रतिबंध, बताना है आज

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से पूछा कि दिल्ली में पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध को वह कैसे लागू करने जा रही है? दिल्ली पुलिस को बृहस्पतिवार को जानकारी देने के लिए कहा गया है। जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ भारत में पटाखों की बिक्री, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

नाबालिग याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा, अदालत के निर्देशों के बावजूद दिल्ली एनसीआर में खुलेआम उल्लंघन हुआ है। मैंने दिल्ली में पटाखे फोड़े जाने की मीडिया रिपोर्ट भी पेश की है। प्रतिबंध के बावजूद उन्हें दिल्ली में लाया गया है। उनमें से कई में बेरियम भी है। दिल्ली पुलिस और एनसीआर में अन्य एजेंसियों को इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

जस्टिस बोपन्ना ने कहा, जहां तक दिल्ली की बात है। इस साल किसी भी हालत में प्रतिबंध है। लेकिन चिंता यह है कि अगर प्रतिबंध है तो ऐसा कैसे होता है? इसका जवाब देना होगा। पीठ ने दिल्ली पुलिस को इस संबंध में अपनी कार्ययोजना से बृहस्पतिवार दोपहर 3 बजे अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है। शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि हर साल पटाखा निर्माता आते हैं और कहते हैं कि हमारे पास काम नहीं है, जबकि वे वास्तव में बिक्री जारी रखते हैं। वे बार-बार निर्देशों का उल्लंघन करते रहते हैं और फिर अदालत में आकर ढील देने की गुहार लगाते हैं।

शंकरनारायणन ने दिल्ली के चिंताजनक वायु प्रदूषण स्तर पर रिपोर्ट पढ़ी और एआईएमएस और गंगाराम अस्पताल के पूर्व चिकित्सा विशेषज्ञ की एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि दिल्ली में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। शंकरनारायणन ने बताया कि डॉक्टर ने कहा है कि जब वह एनसीआर क्षेत्र के बच्चों के फेफड़ों का ऑपरेशन करते हैं तो वह ग्रे होता है जबकि इसे चमकीला गुलाबी होना चाहिए।

हरित पटाखों के लिए प्रोटोकॉल तैयार पालन नहीं होने पर रद्द होगा लाइसेंस
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को सूचित किया कि हरित पटाखों की बिक्री के संबंध में प्रतिबंध या विनियमन को लागू करने के तरीके पर प्रोटोकॉल को रिकॉर्ड पर लाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अनुपालन न करने पर लाइसेंस रद्द करना भी शामिल होगा। उन्होंने अदालत को बताया कि विनिर्माण की शुरुआत में ही गुणवत्ता नियंत्रण और जांच की व्यवस्था की जाएगी। शीर्ष अदालत ने पिछले आदेश में केंद्र को प्रोटोकॉल प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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