सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखे चलाने वाले लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करना समाधान नहीं है। जरूरी यह है कि पटाखों का स्रोत ढूंढ़ कर कार्रवाई की जाए। जस्टिस एएस बोपन्ना व जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने बृहस्पतिवार को दिल्ली पुलिस से कहा, दिल्ली-एनसीआर में पटाखे पर प्रतिबंध के उल्लंघन से जुड़े मुद्दों को शुरुआत में ही खत्म किया जाना चाहिए।
उल्लंघन के बाद कार्रवाई का कोई मतलब नहीं है। पीठ पटाखों की बिक्री, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह पटाखों के लिए कोई भी लाइसेंस जारी न करे।
शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर दिल्ली पुलिस की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने प्रतिबंध लागू करने की कार्ययोजना बताई। दिल्ली सरकार ने सर्दियों में प्रदूषण पर अंकुश लगाने की योजना के तहत 11 सितंबर को पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
वायु प्रदूषण के खतरे में पटाखे एकमात्र कारण नहीं : भाटी
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा, वायु प्रदूषण के खतरे में पटाखे ही एकमात्र कारक नहीं हैं। उन्होंने कहा 2016 के बाद से कोई लाइसेंस जारी नहीं किया है। तब शंकरनारायणन ने कोर्ट को बताया कि अस्थायी लाइसेंस अब भी जारी किए जा रहे हैं। इस पर पीठ ने लाइसेंस जारी करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया।
पटाखे चलाने वाले नहीं, सड़क पर रहने वाले गरीब हैं पीड़ित
याचिकाकर्ता के वकील गोपाल शंकर नारायणन ने कहा, पटाखे फोड़ने वाले नहीं, वास्तव में सड़क पर रहने वाले लोग पीड़ित हैं। मर्सिडीज वाले लाखों के पटाखे फोड़ सकते हैं। फिर पीएम 2.5 प्यूरीफायर के साथ वातानुकूलित घरों में वापस जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिबंध के बावजूद पटाखों का निर्माण हो रहा है और बेरियम का इस्तेमाल किया जा रहा है।