सूर्य देव को जल चढ़ाते समय भूल से भी न करें ये गलतियां, रखें इन बातों का ध्यान
हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित किया गया है। मान्यता है कि सूर्य ही एकमात्र ऐसे देव हैं, जो नियमित रूप से भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं। व्यक्ति के जीवन में सूर्य का बहुत बड़ा योगदान होता है। कहा जाता है कि यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत है, तो व्यक्ति को जीवन में खूब कामयाबी और यश की प्राप्ति होती है। वहीं यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है तो जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए रोजाना सुबह सूर्य को जल देना चाहिए। हिंदू धर्म में सूर्य को देवता की तरह पूजा जाता है। ज्यादातर लोग सुबह पूजा पाठ करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्योदय होता है और मान सम्मान में वृद्धि होती है। इसके अलावा यदि किसी कारण विवाह में देर हो रही है, तो नियमित सूर्य को जल देने से शीघ्र ही अच्छे रिश्ते आते हैं। लेकिन सूर्य को जल देते वक्त कई बातों का ध्यान रखाना चाहिए। आइए जानते हैं सूर्य देव को जल देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए….
सूर्य देव को हमेशा तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करना चाहिए। एक बात का ध्यान रखें कि सूर्य को जल प्रातः काल यानी सूर्योदय के समय ही चढ़ाएं। सुबह के समय जल अर्पित करना फायदेमंद माना जाता है। सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। जल में रोली या फिर लाल चंदन का प्रयोग करें। इसके अलावा लाल फूल भी सूर्य देव को अर्पित करना शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि रोजाना सूर्य को जल चढ़ाने से सूर्य देव का प्रभाव शरीर में भी बढ़ता है। इससे आप में ऊर्जा की वृर्द्धि होती है। साथ ही प्रतिदिन सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और बल की प्राप्ति होती है। समाज में मान सम्मान भी बढ़ता है।