Saturday, July 27, 2024
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ड्रग टेस्ट में फेल हुईं ये फार्मा कंपनियां, राजनीतिक दलों को दिए करोड़ों के Electoral Bond.

असल न्यूज़: भारत में कई ऐसी दवा कंपनियां हैं जिनकी दवाईयां टेस्ट में फेल होती रही हैं। लेकिन इन कंपनियों ने दवाओं के ड्रग टेस्ट में फेल होने पर करोड़ों रुपयों के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक पार्टियों को चंदे के तौर पर दिए हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े डेटा विश्लेषण के बाद ऐसी बातों का पता चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने बीते दिनों चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा उपलब्ध कराया है। इस डेटा को चुनाव आयोग की ओर से सार्वजनिक कर दिया गया है। इसके बाद से इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत 2017 में हुई थी। डेटा से पता चलता है कि करीब 23 फ़ार्मा कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये क़रीब 762 करोड़ रुपये का चंदा राजनीतिक दलों को दिया है।

आपको बता दें कि इन कम्पनियों ने ड्रग टेस्ट में फेल होने का बावजूद की राजनीती पार्टियों को करोड़ों का चंदा दिया:टोरेंट फ़ार्मास्यूटिकल लिमिटेड का रजिस्टर्ड ऑफिस गुजरात के अहमदाबाद में है। कंपनी की ओर से साल 2018 से 2023 के बीच बनाई गई तीन दवाएं ड्रग टेस्ट में फेल हुई हैं। जो दवाएं फेल हुईं उनमें डेप्लेट ए 150 जो दिल का दौरान पड़ने पर बचाती है, लोपामाइड और निकोरन आईवी 2 शामिल है। कंपनी की ओर से 7 मई 2019 से 10 जनवरी 2024 के बीच 77.5 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए हैं।

साल 2018 से 2023 के बीच सिप्ला लिमिटेड की दवाओं के सात बार ड्रग टेस्ट फेल हुए। सिप्ला लिमिटेड का रजिस्टर्ड दफ्तर मुंबई में है। कंपनी का जो सिपरेमी इंजेक्शन ड्रग टेस्ट में फेल हुआ उसका इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है। इस कंपनी ने 10 जुलाई 2019 और 10 नवम्बर 2022 के बीच 39.2 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे।

सन फ़ार्मा लेबोरेटरीज़ लिमिटेड ने 15 अप्रैल 2019 और 8 मई 2019 को कुल 31.5 करोड़ रुपये के बॉन्ड ख़रीदे। वहीं साल 2020 और 2023 के बीच 6 बार इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए। इन दवाओं में कार्डीवास, लैटोप्रोस्ट आई ड्रॉप्स, और फ़्लेक्सुरा डी शामिल थीं। कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है। ज़ाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड ने 10 अक्टूबर 2022 और 10 जुलाई 2023 के बीच इस कंपनी ने 29 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे थे। साल 2021 में बिहार के ड्रग रेगुलेटर ने इस कंपनी की बनाई गई रेमडेसिविर दवाओं के एक बैच में गुणवत्ता की कमी की बात कही थी।

इसी तरह हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड और हेटेरो लैब्स लिमिटेड की ओर से साल 2018 और 2021 के बीच बनाई गई दवाओं के सात ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए। हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड ने 7 अप्रैल 2022 और 11 जुलाई 2023 को 30 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। ये सारे बॉन्ड तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पार्टी को दिए गए। हेटेरो लैब्स लिमिटेड ने 7 अप्रैल 2022 और 12 अक्टूबर 2023 को 25 करोड़ रुपये के बॉन्ड ख़रीदे थे। इंटास फ़ार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने 10 अक्टूबर 2022 को 20 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे थे। जुलाई 2020 में इस कंपनी की बनाई गई दवा एनाप्रिल का ड्रग टेस्ट फ़ेल हुआ था।

आईपीसीए लैबोरेट्रीज़ लिमिटेड की दवा लारियागो टेबलेट का ड्रग टेस्ट फ़ेल हुआ था। 10 नवम्बर 2022 और 5 अक्टूबर 2023 के बीच इस कंपनी ने 13.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे थे। ग्लेनमार्क फ़ार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की बनाई गई दवाओं के छह ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए थे। इस कंपनी ने 11 नवंबर 2022 को 9.75 करोड़ रुपये के बॉन्ड ख़रीदे।

 

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