Wednesday, October 30, 2024
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Nag Panchami: नाग पंचमी 2024 में कब है? जान लें सही तिथि और पूजा मुहूर्त.

असल न्यूज़: नाग पंचमी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता के पूजन से कई लाभ प्राप्त होते हैं, खासकर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन को बेहद खास माना जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि साल 2024 में नाग पंचमी कितनी तारीख को है और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक रहेगा।

नाग पंचमी 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि इस साल 9 अगस्त को है। इसी दिन विधि-विधान से नाग देवता की पूजा की जाएगी। पंचमी तिथि का आरंभ 9 अगस्त को सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर होगा और अगले दिन सुबह 6 बजकर 9 मिनट तक पंचमी तिथि व्याप्त रहेगी।

नाग पंचमी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

नाग देवता की पूजा के लिए नाग पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त पूरे दिन ही रहेगा, यानि किसी भी समय आप पूजा कर सकते हैं। हालांकि विशेष पूजन के लिए दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 1 बजे तक का समय अच्छा माना जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में नाग देवता की पूजा भी शुभ मानी जाती है। प्रदोष काल में शाम 6 बजकर 33 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट तक आप पूजन कर सकते हैं।

नाग पंचमी के दिन नाग पूजन के लाभ

नाग पंचमी के दिन अगर आप नाग देवता की पूजा करते हैं तो आपकी कुंडली में मौजूद सर्प दोष दूर होता है। इसके साथ ही नागों के काटने के भय से भी आप मुक्त होते हैं। माना जाता है कि अगर आप नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करें तो परिवार के सदस्य भी नाग दंश से बच जाते हैं। इसके साथ ही अगर आपके वैवाहिक जीवन में कोई समस्या है, या संतान प्राप्ति में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो, आपकी इन समस्याओं का भी समाधान आपको प्राप्त हो जाता है। । नाग भगवान शिव को भी अतिप्रिय हैं इसलिए कहीं न कहीं नाग पूजा से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और आपको उनकी कृपा प्राप्त होती है। नाग पूजा करने से आपकी आध्यात्मिक उन्नति भी होती है और आपकी कई मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

नाग देवता को इन मंत्रों से करें प्रसन्न

ॐ श्री भीलट देवाय नम:।।
ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।

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