Sunday, September 8, 2024
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सावन के दूसरे सोमवार का पूजा-व्रत का शुभ महूर्त-महादेव की पूजा में जरूर अर्पित करें ये चीजें.

असल न्यूज़: सावन के महीने की शुरूआत हो चुकी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन के महीने में सृष्टि का कार्यभार महादेव के कंधों पर होता है. भगवान शिव देवशयनी एकादशी के बाद से ही संसार का कार्यभार संभाल लेते हैं. इस चलते श्रावण मास पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित है. माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव (Lord Shiva) की पूरे मनोभाव से पूजा की जाए तो भक्तों पर महादेव की विशेष कृपादृष्टि पड़ती है. हिंदू धर्म में हर दिन को किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है.

ऐसे में सोमवार का दिन भगवान शिव का कहा जाता है. इसीलिए सावन के महीने में सोमवार की विशेष मान्यता होती है. माना जाता है कि सावन सोमवार का व्रत रखने वाली कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है और वैवाहिक महिलाएं इस व्रत को करती हैं तो उनका शादीशुदा जीवन सुखमय बनता है. सावन के महीने का दूसरा सोमवार किस तारीख को है, इस दिन किस मुहूर्त में और किस तरह पूजा की जा सकती है, जानिए यहां.

सावन के दूसरे सोमवार की पूजा | Second Sawan Somwar Puja
सावन का दूसरा सोमवार 29 जुलाई के दिन पड़ रहा है. इस दिन पूजा के कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. दूसरे सावन सोमवार के दिन सुबह 4 बजकर 17 मिनट से 4 बजकर 59 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त बन रहा है. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक है और अमृत काल का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. सावन सोमवार के दिन प्रदोष काल में शिवलिंग (Shivling) पर बेलपत्र और जल की धारा से अभिषेक करना शुभ माना जाता है. इसके अतिरिक्त घी का दीपक जलाकर भोलेनाथ के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है.

सावन सोमवार की पूजा के लिए सुबह उठकर स्नान पश्चात भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद भगवान के समक्ष गुड़, गंगाजल, दही, घी, दूध और शक्कर अर्पित किए जाते हैं. इन चीजों से भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है. भगवान शिव पर बेलपत्र, अक्षत, चंदन और फल अर्पित करने भी शुभ माने जाते हैं. भोग में महादेव पर सफेद मिठाई, दही, हलवा, पंचामृत और भांग का भोग लगाया जाता है.

शिव पूजा संपन्न करने के लिए दीपक जलाकर महादेव की आरती की जाती है, शिव चालीसा का पाठ किया जाता है और शिव मंत्रों का जाप करके पूजा संपन्न की जाती है. पूजा के दौरान ‘नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय।।’ मंत्र का जाप कर सकते हैं.

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