असल न्यूज़: गाजियाबाद में एक बड़ा ही शर्मशार कर देने वाला मामले सामने आया है। एक कलयुगी पिता करीब तीन साल से किशोरी के साथ दुष्कर्म कर रहा था। पेट दर्द की शिकायत पर किशोरी की मां उसे डाक्टर के पास ले गई। डाक्टर ने अल्ट्रासाउंड कराया। मां की स्थिति “काटो तो खून नही” वाली हो गई। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में उसकी नाबालिग बेटी को गर्भवती जो बताया गया था। सात माह की गर्भवती, हे राम। मां ने बेटी से पूछा यह कैसे हुआ। किशोरी ने एक युवक का नाम ले दिया। मां सीधे सिहानीगेट थाने पहुंची और पुलिस को पूरी कहानी बताई। किशोर के बताए गए नाम पते पर पुलिस पहुंची तो आठ साल के बच्चे को सामने पाकर दंग रह गई। पुलिस बैरंग लौट आई।
करीब 24 घंटे तक खाक छानती रही पुलिस
करीब 24 घंटे तक पुलिस युवक के चक्कर में खाक छानती रही। इस दौरान किशोरी का पिता भी पुलिस के पीछे -पीछे रहा। हारकर पुलिस ने खुद किशोरी से पूछताछ की। इसका जिम्मा एक महिला उपनिरीक्षक को सौंपा गया, लेकिन किशोरी उसी नाम को दोहराती रही, जो उसने अपनी मां को बताया था। महिला उप निरीक्षक ने कई घंटे तक बच्ची काउंसलिंग की। मासूम तब सुबकते हुए बोली, मेरे पिता ने ही मेरे साथ गलत काम किया था। पुलिस ने पूरी बात किशोरी की मां से बताई तो पर एक साथ पहाड़ सा टूट पड़ा। किशोरी की मां ने उसके पिता के खिलाफ मुकदमा लिखवाया और कलयुगी पिता को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
कामगार है परिवार
पुलिस ने बताया कि परिवार काफी गरीब है। पति-पत्नी दोनों मजदूरी करते हैं। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि बस इसी तंगी के चलते साथ सोने के दौरान करीब तीन साल पहले एक दिन गलत काम हो गया, उसके बाद जब मौका लगता था, मैं गलत काम करने लगा। पुलिस की पूछताछ में यह भी सामने आया है कि किशोरी लोक लाज के डर से पिता का नाम जुबान पर नहीं ला रही थी, इसलिए उसने गलत नाम लेकर गुमराह करने का प्रयास किया। किशोरी का आरोप है कि विरोध करने पर पिता उसे धमकाता भी था।
बाल कल्याण समिति के सामने पेश होगी किशोरी
एसीपी नंदग्राम ने बताया कि किशोरी के बयान के आधार पर मुकदमा दर्ज कर आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है। किशोरी को शनिवार को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाएगा। उन्होंने बताया बच्ची का अल्ट्रासाउंड जिला एमएमजी अस्पताल में कराया गया था। अस्पताल के सीएमएस की ओर से भी पुलिस को रिपोर्ट भेजी गई है। रिपोर्ट में किशोरी का सात माह की प्रेगनेंट बताया गया है। डाक्टरों का कहना है कि गर्भ की अवधि ज्यादा हो जाने से यह बच्ची की जान के लिए खतरनाक हो सकता है।