असल न्यूज़: दिवाली का पर्व नजदीक है और उसके बाद भाई दूज और छठ पर्व भी आ रहे हैं। भारत में कोई भी पर्व बिना मिठाई, पकवान और उपहार के बिना के अधूरा है। दिवाली पर मिठाई और गिफ्ट देने की परंपरा है। इस दिन लोग ड्राई फ्रूट्स, नट्स के डिब्बे और विभिन्न तरह की मिठाई उपहार के रूप में देते हैं।
अगर बात करें नट्स की तो काजू का गिफ्ट, पकवान और मिठाई में काजू का खूब इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फेस्टिव सीजन में डिमांड पूरी करने के लिए कारोबारी नकली और पुराने काजू का भी खूब इस्तेमाल करने लगते हैं?
काजू को हेल्दी स्नैक माना जाता है। लेकिन इन दिनों बाजार में नकली काजू भी बहुत मिलते हैं। असली और नकली काजू में फर्क करना मुश्किल हो सकता है। नकली और पुराने काजू खाने से पाचन समस्याएं, एलर्जी, फूड पॉइजनिंग और इम्यूनिटी कमजोर होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटीशियन शिखा अग्रवाल शर्मा आपको बता रही हैं कि आप असली और नकली काजू की पहचान कैसे कर सकते हैं।
नकली और पुराने काजू खाने के नुकसान
पाचन समस्याएं: नकली काजू में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में जलन पैदा कर सकते हैं, जिससे मतली, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण हो सकते हैं। ऐसे काजू पेट में ऐंठन का कारण बन सकते हैं। इससे फूड पॉइजनिंग भी हो सकती है।
त्वचा पर चकत्ते और खुजली: नकली काजू में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है, जिससे त्वचा पर चकत्ते, लालिमा और खुजली हो
सकती है।
लिवर और किडनी के डैमेज होने का खतरा: नकली काजू में हानिकारक रसायन या भारी धातुओं का लंबे समय तक सेवन करने से शरीर में विषाक्त पदार्थों का संचय हो सकता है, जिससे लिवर और किडनी को नुकसान पहुंच सकता है।
कैंसर का भी खतरा
नकली काजू को बनाने के लिए इस्तेमाल किये गए कुछ कृत्रिम रसायन और रंग कैंसर का कारण बन सकते हैं। इनके सेवन से हार्मोनल असंतुलन भी हो सकता है। इतना ही नहीं, इससे आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है जिससे शरीर की संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हो सकती है।
सबसे पहले तो असली काजू का रंग सफेद होता है जबकि नकली काजू हल्के पीले रंग के होते हैं। रंग में यह फर्क एक नजर में ही पता चल जाता है। इसलिए काजू खरीदते समय उसके रंग पर जरूर ध्यान दें।
काजू का साइज देखकर लगाएं पता
असली काजू का साइज़ भी मायने रखता है। असली काजू लगभग 1 इंच लंबे और थोड़े मोटे होते हैं। अगर साइज़ में अंतर दिखे तो समझ जाएं कि काजू नकली हो सकते हैं। आप काजू के आकार और बनावट को देखकर नकली काजू की पहचान कर सकते हैं।
स्वाद भी बता देगा हकीकत
असली और नकली काजू के स्वाद में भी थोड़ा फर्क होता है। असली काजू कभी दांतों पर नहीं चिपकते जबकि नकली काजू दांतों के बीच चिपक जाते हैं। इसके अलावा, नकली काजू पचाने में भी मुश्किल होते हैं। असली काजू चबाने पर आसानी से टूट जाते हैं जिससे इन्हें पचाना आसान होता है। आप काजू को चखकर भी असली और नकली में फर्क कर सकते हैं।
क्वालिटी पर रखें नजर
असली काजू की पहचान करने का एक और तरीका उनकी क्वालिटी को समझना है। असली काजू लंबे समय तक खराब नहीं होते, जबकि नकली काजू जल्दी खराब हो सकते हैं। घटिया क्वालिटी के काजू में कीड़े या कीट लगने का खतरा रहता है। अगर सही से रखा जाए, तो असली काजू छह महीने तक फ्रेश रह सकते हैं।