असल न्यूज़: भाई दूज का त्यौहार हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तारीख को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। भाई दूज की तारीख को लेकर इस बार लोगों के बीच कंफ्यूजन है। ऐसे में हम आपको बताते हैं पंचांग के अनुसार भाई दूज की सही तारीख और भाई दूज पूजन का शुभ मुहूर्त। आइए, विस्तार से जानते हैं।
भाई दूज पूजन का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार द्वितीय तिथि का आरंभ 2 नवंबर रात 8 बजकर 22 मिनट द्वितीया तिथि समाप्त 3 नवंबर रात 11 बजकर 6 मिनट है। ऐसे में भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा। जबकि भाई दूज पूजन का समय दिन में 11 45 मिनट से 1 बजकर 30 मिनट तक उत्तम रहेगा। पौराणिक मान्यता है कि अगर बहनें शुभ मुहूर्त में भाइयों को तिलक करती हैं, तो भाइयों की उम्र लंबी होती है और भाई-बहन दोनों के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
भाई दूज का महत्व
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को मनाया जाने वाला भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को आदर सत्कार के साथ भोजन कराया था। यमराज के वरदान अनुसार जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके, यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। यमुना को सूर्य की पुत्री माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि वे सभी तरह के कष्टों को दूर करती हैं। इसलिए यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करना और यमुना और यमराज की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
भाई दूज पूजन तिलक विधि
पौराणिक मान्यता के अनुसार भाई दूज पर बहनों को अपने भाई को उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके तिलक करना चाहिए। तिलक के बाद, बहनें अपने भाई का मुंह मीठा कराना चाहिए और फिर इसके बाद भाई को नारियल और चावल दें। इसके बाद भाई की आरती उतारें और उनके भाग्योदय और लंबी उम्र की कामना करें। भाइयों को भी अपनी बहनों को उपहार देना चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि इससे भाई-बहन का स्नेह हमेशा बना रहता है।