Monday, June 9, 2025
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दिल्ली सरकार ने 5वीं कक्षा तक के स्कूलों को किया बंद, बढ़े प्रदूषण का असर.

असल न्यूज़: दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में छोटे बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए दिल्ली सरकार ने 5वीं कक्षा तक के स्कूलों को बंद करने के फैसला किया है। स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे। बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं संचालित होंगी। वहीं, बढ़ते प्रदूषण के कारण स्कूल सभी बच्चों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो और पाठ्यक्रम को पूरा किया जा सके। पिछले साल भी प्रदूषण के खतरनाक श्रेणी में पहुंचने पर स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया था। स्कूलों ने पहले ही सभी प्रकार की बाहरी गतिविधियों को बंद कर दिया था। प्रार्थना कक्षाओं में हो रही है और खेल गतिविधियां भी बंद हैं। स्कूल दिवाली से पहले ही बच्चों व अभिभावकों को एडवायजरी जारी कर मास्क लगाकर आने की सलाह दे चुके हैं।

ग्रैप-3 किया गया लागू
इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर काबू पाने की दिशा में सीएक्यूएम ने ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP-3) लागू करने की घोषणा कर दी गई है। राजधानी समेत पूरे एनसीआर में 15 नवंबर से इसे लागू किया जाएगा।

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लोगों को हो रही सांस संबंधी परेशानी
दिल्ली और एनसीआर इन दिनों वायु प्रदूषण की मार झेल रहा है। हवा में बढ़ते प्रदूषक सांस के माध्यम से शरीर में पहुंचकर कई प्रकार की बीमारियों को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण सांस से संबंधित समस्याओं का जोखिम तो बढ़ता ही है साथ ही ये हृदय रोग, फेफड़ों में संक्रमण सहित कई अन्य प्रकार की समस्याओं को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। प्रदूषण के कारण प्रारंभिक स्थिति में आंखों में जलन, लालिमा और खुजली होने की समस्या सबसे ज्यादा देखी जाती रही है।

विशेषज्ञ ने भी इससे बचने की सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि घर से बाहर निकलते समय प्रदूषण के स्तर की जांच जरूर कर लें। वायु प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसके कारण श्वसन, हृदय और मस्तिष्कवाहिकीय प्रणालियों से संबंधित कई तरह की दिक्कतों का खतरा रहता है। इतना ही नहीं वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण दीर्घकालिक बीमारियां और इससे मृत्यु का भी जोखिम हो सकता है। इसके प्रतिकूल प्रभाव विशेष रूप से कमजोर आयु वर्ग वाले लोग जैसे कि बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों में अधिक देखी जाती रही है। ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

 

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