असल न्यूज़: MCD के सभी 12 जोन में रिहायशी कॉलोनियों में अवैध रूप से चल रही फैक्ट्रियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया गया। MCD की ओर से इस साल अक्टूबर तक 3,410 फैक्ट्रियों को सील किया जा चुका है। इसके अलावा 14,337 फैक्ट्रियों को कारण बताओ नोटिस दिया गया। MCD ने अभी तक इन फैक्ट्रियों से 9.8 करोड़ का जुर्माना भी वसूला है।
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दिल्ली में इंडस्ट्रीज पर नजर डालें तो साल 1981 में 42,000 फैक्ट्रियां थीं और इनमें 5,69,910 वर्कर काम करते थे। साल 1991 में फैक्ट्रियों की संख्या बढ़कर 85,050 तक पहुंच गई और इनमें काम करने वाले वर्करों की संख्या 7,30,951 हो गई। साल 1998 में यह आंकड़ा 1,29,000 तक पहुंच गया और वर्करों की संख्या 14.40 Ṇलाख तक पहुंच गई। अगर दोबारा सर्वे किया जाए तो फैक्ट्रियों की संख्या और उनके काम करने वाले वर्करों की संख्या का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा होगा।
MCD के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि रिहायशी कॉलोनियों में अवैध रूप से चल रहीं फैक्ट्रियों के बारे में MCD को लगातार शिकायतें मिल रही थीं। MCD ने सभी 12 जोन में चल रहीं अवैध फैक्ट्रियों का पता लगाने के लिए सर्वे शुरू किया। MCD का दावा है कि सख्त एक्शन को देखते हुए हजारों फैक्ट्रियां बंद हो गईं। इस दौरान अवैध फैक्ट्रियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने से लेकर जुर्माना भी लगाया गया। ऐक्शन लगातार जारी है।
रेजिडेंशल इलाकों में 112 काम करने की है परमिशन
एक अधिकारी ने मास्टर प्लान 2021 का हवाला देते हुए बताया कि रिहायशी कॉलोनियों में 112 तरह के काम किए जा सकते हैं। इनमें अगरबत्ती बनाना और इसी तरह के प्रोडक्ट, एल्युमीनियम हैंगर (तार खींचने और एनोडाइजिंग छोड़कर), आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक सामान की असेंबली और मरम्मत, सिलाई मशीन बेचना और मरम्मत, छोटे-मोटे औजारों की बिक्री, बैडमिंटन शटलकॉक की असेंबली, बिजली उपकरण जैसे कूलर, हीटर आदि की असेंबली और मरम्मत, टाइपराइटर की असेंबली और मरम्मत (फॉन्ट कॉस्टिंग छोड़कर), बैकेलाइट स्विच की असेंबली, माप उपकरणों की ब्रिकी और मरम्मत (खतरनाक सामग्रियों को छोड़कर), आटा चक्की, बाटिक वर्क, ब्लॉक बनाना और फोटो बड़ा करना शामिल है।
इसके अलावा बिस्किट, केक और कुकीज बनाना, बटन बनाना, बटन और हुक लगाना, किताबों की जिल्दसाजी, ब्रश और झाड़ू (हाथ से), बेंत और बांस के प्रोडक्ट, कैसेट रिकॉर्डिंग, जूट के उत्पाद, कार्डबोर्ड के बक्से, मोमबत्तियां, तांबे और पीतल की आर्ट का सामान, डोरी, रस्सी और सुतली बनाना, बढ़ई का काम, कॉन्टैक्ट लेंस, कैनवस बैग और होल्ड-ऑल बनाना, कैंडी, मिठाई बनाना, कपास और रेशम मुद्रण (हाथ से), कंप्यूटर रिपेयरिंग, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, कालीन बुनाई, डिटर्जेंट (बिना भट्ठी के),ड्राई क्लीनिंग, डेटा प्रोसेसिंग और डेयरी प्रोडक्ट जैसे क्रीम, घी और पनीर आदि काम शामिल हैं।
गांवों में कुछ और काम करने की भी परमिशन
रेजिडेंशल इलाकों में जो 112 काम करने की इजाजत है, उनके अलावा भी गांवों में कुछ और काम किए जा सकते हैं। इनमें लोहार का काम, बेंत और बांस के प्रोडक्ट बनाना, मिट्टी और प्लास्टर के साथ बिना मॉडलिंग का काम, कालीन और साड़ी की बुनाई, रेफ्रिजरेशन से आइसक्रीम और पानी ठंडा करना, पत्थर पर नक्काशी, मिट्टी के बर्तन उद्योग (भट्ठी के बिना), तेल घानी, लकड़ी की नक्काशी और सजावटी लकड़ी के सामान का काम शामिल हैं।
कमर्शल सेंटरों में 43 काम करने की छूट
एयर कंडिशनर के पार्ट्स, एल्युमीनियम के दरवाजे और खिड़कियां, फिटिंग और फर्नीचर, साइकलों की असेंबली और मरम्मत, ऑटो पार्ट्स, बेल्ट, बल्ब (बैटरी), कपड़े की रंगाई, कपास ओटाई, साइकल चेन और ताले, हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग का काम, बिजली की फिटिंग (स्विच, प्लग पिन आदि), इंजीनियरिंग वर्क, फाउंड्री (निर्धारित लाइन के अनुसार छोटे काम), आइसक्रीम और पानी ठंडा करना, बर्फ के बक्से, लोहे की ग्रिल और दरवाजा बनाना, जूट प्रोडक्ट, चाबी के छल्ले, किचन में इस्तेमाल होने वाले चाकू बनाना, संगमरमर की चीजें, मेटल कटिंग, मोटर वाइंडिंग, प्रिंटिंग प्रेस, पेच और कीलें, कैंची बनाना, चश्मा और ऑप्टिकल फ्रेम, स्टील फर्नीचर और अलमारी, स्टील लॉकर, स्टील स्प्रिंग्स, सर्जरी उपकरण, टेबल लैंप और शेड्स, टिन बॉक्स, ट्रांसफॉर्मर कवर, टीवी, रेडियो, कैसेट रिकॉर्डर सहित 43 तरह के काम किए जा सकते है।
रिहायशी इलाकों में चल रहीं फैक्ट्रियों के खिलाफ एक्शन
पहला फेज़: 1129
दूसरा फेज़: 694
तीसरा फेज़: 1587
दिल्ली में इंडस्ट्रीज का डेटा
1981 42,000 फैक्ट्रियां 5,69,910 वर्कर
1991 85050 फैक्ट्रियां 7,30,951 वर्कर
1998 1,29,000 फैक्ट्रियां 14,40,000 वर्कर