पुलिस और प्रशासन की जुगलबंदी का बेहतरीन नमूना ।
उत्तर पूर्वी दिल्ली। राजधानी दिल्ली के सबसे पिछड़े जिले उत्तर पूर्वी दिल्ली पुलिस के जिला उपायुक्त और दिल्ली नगर निगम शाहदरा उत्तरी जोन के उपायुक्त की जुगलबंदी का ही परिणाम है,कि इस पूरे जिले और जोन में भारी अतिक्रमण ने लोगों को सिर पर पैर रखकर निकलने को मजबूर किया हुआ है। मजेदार बात यह है,कि जगह जगह पुलिस के बूथ बने हैं, जहां अव्वल तो ताला लटका रहता है और यदि खुला भी हो,तो उसमें बैठे पुलिस के जवान चुपचाप बैठे तमाशा देखते रहते हैं।सुबह दिन निकलने से देर रात तक रोड पूरी तरह जाम रहते हैं।
जिले के सीलमपुर गुरुद्वारे से लेकर ब्रह्मपुरी मेन रोड होते हुए यदि आपको घौंडा चौक पहुंचना है,तो मात्र तीन किलोमीटर लंबा सफर तय करने में आपको एक घंटा लग जाएगा,इसका सबसे बड़ा कारण है,कि फुटपाथ पर दुकानदारों का कब्जा, दुकानदारों की कृपा दृष्टि से फुटपाथ से आगे सडक पर हजारो रेहडी वालो का कब्जा,बाकी बची सड़कों पर कार, तिपहिया वाहन, दोपहिया वाहन और इंसानो से ज्यादा कुकरमुत्तो की तरह चल रही हजारों की तादाद में बैटरी रिक्शा वालो का कब्जा,तो ऐसी स्थिति में यहां के बाशिंदों को पैदल चलने तक का रास्ता नही मिलता।पूरे रोड पर टाटा 407-409से लेकर और बड़े ट्रको और माल वाहकों में माल की लोडिंग -अन लोडिंग होती रहती है।
नान वेज होटलों के बाहर गली न.20,21,22,23,24 ब्रह्मपुरी पर आधी से ज्यादा सड़कों पर कार, थ्री व्हीलर और स्कूटी पूरे मार्गं को अवरूद्ध किए रहती है।ऐसी परिस्थिति में कही 60 फुट तो कही 80 फुट का रोड,मात्र 10 फुट का रह गया है। सीलमपुर गुरुद्वारे से लेकर ब्रह्म पुरी के रास्ते घौंडा चौक तक आम लोगों का जीना दुश्वार किए हुए हैं , लेकिन पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बना है,या यहां के दुकानदारों से सैटिंग जबरदस्त है,जिस कारण सभी ने आंखें बंद की हुई है।इस पूरे तीन किलोमीटर मार्ग पर तीन थाने सीलमपुर, उस्मानपुर और जाफराबाद का अधिकार क्षेत्र बनता है,तो वही शाहदरा नार्थ जोन को यहां कारवाई करनी होती है, लेकिन सभी विभाग हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। यहां से गुजरने वाली एंबुलेंसो को भी घंटो सायरन बजाना पड़ता है, लेकिन मजाल है,कि कोई सुन ले। लिहाजा, दिल्ली के उपराज्यपाल, अतिक्रमण के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति घोषित करने वाली मुख्यमंत्री साहिबा, दिल्ली पुलिस कमिश्नर व निगमायुक्त इस पिछड़े क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय नागरिकों का दुःख दर्द समझेंगे या फिर यहां के लाखों नागरिक कीड़े मकोड़ों का जीवन ऐसे ही काटेंगे।