असल न्यूज़: बच्चे समोसा, कचौरी, वड़ा पाव, पिज्जा, केले के चिप्स, फ्रैंच फ्राइज, बर्गर को ना कहें। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बच्चों में तेजी से बढ़ रही मोटापे की समस्या को देखते हुए कदम बढ़ाया है। उसने स्कूलों को ऑयल बोर्ड लगाने को कहा है। ताकि बच्चों के मोटापे को नियंत्रित करने के लिए जागरूक किया जा सके।
बोर्ड ने स्कूलों से कहा है कि कैफेटेरिया, लॉबी, बैठक कक्ष और दूसरे सार्वजनिक स्थानों में ऑयल बोर्ड डिस्पले लगाए जाएं। स्कूलों को छोटे व्यायाम अवकाश का आयोजन करने और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने को कहा है।
सीबीएसई ने हाल में ही स्कूलों को बच्चों में चीनी से जुड़े खाद्य पदार्थों से होने वाले नुकसानों की जानकारी देने के लिए शुगर बोर्ड लगाने की सलाह दी थी। इस पर स्कूलों ने अमल करना भी शुरू कर दिया है। अब बोर्ड ने स्कूलों को ऑयल बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं।
इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों में तेल के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना और स्वस्थ जीवन शैली के बारे में शिक्षित करना है। इस संबंध में बोर्ड ने स्कूलों को एक परिपत्र जारी किया है। बोर्ड ने परिपत्र में जानकारी दी है कि वर्ष 2025 में प्रकाशित द लैंसेट जीबीडी 2021 मोटापा पूर्वानुमान अध्ययन के अनुसार भारत में अधिक वजन और मोटे वयस्कों की संख्या 2021 में 18 करोड़ से बढ़कर 2050 तक 44.9 करोड़ होने की संभावना है। जिससे यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक बोझ वाला देश बन जाएगा।
बोर्ड का कहना है कि बच्चों में मोटापे की समस्या खराब खान-पान और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण होती है। ऐसे में स्कूल छात्रों को जागरूक करें। बोर्ड ने स्कूलों को कहा है कि कैफेटेरिया, लॉबी, बैठक कक्ष और दूसरे सार्वजनिक स्थानों में ऑयल बोर्ड डिस्प्ले लगाए जाए। ये डिजिटल रूप या पोस्टर रूप में हो सकते हैं। बच्चों को मोटापे से लड़ने के लिए प्रतिदिन याद दिलाया जाए और इच्छाशक्ति को बढ़ाया जाए।
बच्चों को कहा जाए कि वह स्वास्थ्य वर्धक भोजन विकल्पों का चयन करें। इसमें अधिक फल, सब्जियां और कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का चयन किया जाए। इसके साथ ही चीनी युक्त पेय पदार्थ और अधिक वसा वाले स्नैक्स का सेवन न किया जाए।
बोर्ड पर क्या होना चाहिए
ऑयल बोर्ड पर उन खाद्य पदार्थों(समोसा, कचौरी, चिप्स, बर्गर, पिज्जा, मोमोज) को प्रदर्शित किया जाए जिनसे शरीर को नुकसान होता है। इन खाद्य पदार्थों में कितनी तेल की मात्रा होती है, प्रतिदिन तेल की 27-30 ग्राम हो, स्वास्थ वर्धक विकल्प प्रदर्शित किए जाएं। स्कूलों को ऑयल बोर्ड के प्रोटोटाइप भी सुझाए गए हैं। स्कूल अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इन्हें बनवा सकते हैं।