दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजिज प्रोफेसर बलराम पानी ने मुख्य अतिथि के तौर पर की शिरकत
दिल्ली: असल न्यूज़- 20 अगस्त अदिति महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं एसीएसएसआर नॉर्दर्न रीजनल सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में अकादमिक जगत और परंपरा का मिलन : भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से वैश्विक कल्याण के लिए व्यक्तिगत विश्राम और लचीलापन विकसित करना विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार बुधवार को कॉलेज सभागार में संपन्न हुआ।
सेमिनार के दूसरे दिन के उद्घाटन सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजिज प्रोफेसर बलराम पानी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे जबकि जीबी अदिति महाविद्यालय के चेयरपर्सन प्रो के पी सिंह ने अध्यक्षता की। दिल्ली विवि के समाज कार्य के विभागाध्यक्ष प्रो संजय रॉय मुख्य वक्ता थे जबकि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज के प्रोफेसर कौशल कुमार शर्मा गेस्ट ऑफ ऑनर थे। सेमिनार की पैटर्न अदिति महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो नीलम राठी और कनवीनर प्रोफेसर सुनीता थी। इस अवसर पर मंच संचालन का दायित्व डॉ. रितु खतरी ने गरिमामयी शैली में निभाया तथा सह-संचालन में प्रो. अनामिका शर्मा ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम में और भी सौंदर्य और सहजता जोड़ दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह सरस्वती मां की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं दिल्ली विश्वविद्यालय व अदिति महाविद्यालय के कुलगीत गायन के साथ हुआ। इसके पश्चात स्वागत समारोह में प्रो केपी सिंह ने प्रो बलराम पानी को, प्राचार्य नीलम राठी ने प्रो केपी सिंह का, प्रो सुनीता ने प्रो कौशल कुमार शर्मा का और प्रो सुरुचि ने प्रो संजीव राय का स्वागत राम मूर्ति देकर किया। प्राचार्य प्रोफेसर नीलम राठी ने स्वागत भाषण में मुख्य अतिथि का संक्षिप्त परिचय दिया और बताया कि इस सेमिनार से 58 यूजी रिसर्च पेपर आए है और उनके बारे में जानकारी दी।
सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रो सुनीता वैमिनी ने कहा कि लचीलापन, विश्राम और वैश्विक कल्याण आजकल सबसे महत्वपूर्ण विषय हैं। उन्होंने लोगों को प्रश्न पूछने के लिए धन्यवाद दिया क्योंकि यही वे चर हैं जो किसी भी सेमिनार को एक साथ रखते हैं। प्रो बलराम पानी ने प्रकृति और संस्कृति तथा राष्ट्र और व्यवहार के बारे में छात्राओं को बताया। आगे कहा छात्रों को ऐसे पढऩे की जरूरत है जिससे उनको परंपरा के बारे में जानकारी मिले। आगे कहा आपकी शिक्षा तब तक कुछ भी नहीं है जब तक आपने दूसरों की मदद नहीं की या कुछ अच्छा नहीं किया। ईमानदारी से कमाएं और पैसा ईमानदारी से खर्च करें, तभी आपको शांति मिलेगी। उन्होंने अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बारे में बताया, कैसे यह एक साथ ही काम करते है। इसके बाद उन्होंने कॉलेज का प्रतीक चिन्ह , उसके अर्थ, सकारात्मक विचार तथा हम कैसे विकसित हो सकते है इसके बारे में छात्राओं को जानकारी दी।
प्रो कौशल कुमार शर्मा द्वारा उनका वक्तव्य सभी लोगों के संबोधन के साथ शुरू हुआ। उन्होंने विषय के बारे में बात की और कहा कैसे एक टॉपिक हमारे मस्तिष्क में कई समय के लिए रहता है। आगे बताया कैसे शिक्षा जगत और परंपरा का मिलन हमारे महाविद्यालय के परिसर में हुआ। उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली के तीन भागों को विस्तार से छात्राओं जानकारी दी। आगे बताया कि हर छात्र को अपने आस पास में हो रही गतिविधियों के बारे में पता होना चाहिए जिससे उनका चेतना और जागरूकता बढ़ता है। उन्होंने बताया मन को शांत करने के लिए छात्रों को योग, संगीत सुनना ऐसा कुछ भी करना चाहिए। आगे उन्होंने शिक्षकों के लिए कहा उनको छात्रों के मन के बारे में पता होना जरूरी है।
प्रो संजय रॉय ने कहा मॉडर्न साइकोलॉजी टूल्स, बुद्धिस्ट प्रिंसिपल्स के बारे में बताया। उन्होंने मेडिटेशन, सचेतन और मंत्र जप के बारे में गहराई से जानकारी दी। सचेतन के तीन आयामों के बारे में विस्तार से बताया। कहा आयुर्वेद जीवन का विधान है। तीन तरह के दोषों के बारे में बताया। आत्मज्ञान, कर्म और धर्म की महत्ता को सबसे परिचित करवाया। अंतिम में उन्होंने योग साधना की अभ्यास पर महत्ता बताते हुए अपने वक्तव्य समाप्त किया।
प्रो के पी सिंह ने सभी लोगों का सुंदर तरीके से परिचय तथा संबोधन किया। एक छोटी सी कहानी के साथ अपना वक्तव्य शुरू किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के बारे में, 1994 के समय के महाविद्यालयों के उद्घाटन के बारे में बताया। लचीलापन, ध्यान और विश्राम की आवश्यकता को बताया, कहा जितना दूर हो सके चिंता और तनाव से दूर रहो। कल्याण और आत्म संयम के मुद्दों से परिचित कराया। भारतीय ज्ञान प्रणाली, ज्ञान और अनुप्रयोग को बड़े ही मजेदार तरीके से छात्राओं को समझाया। आहार आचरण के बारे में कहा कि क्या खाना जितना महत्वपूर्ण है उससे कई ज्यादा कब खाना महत्वपूर्ण है। आगे कहा अगर आपका चरित्र अच्छा होगा तो आत्मविश्वास भी अपने आप ही आ जाएगा। अंतिम में उन्होंने अपना वक्तव्य दो पक्तियों के माध्यम से समाप्त किया।
सभी वक्ताओं के उद्बोधन के बाद कार्यक्रम का समापन प्रो. सुरुचि के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। उन्होंने सभी अतिथियों, प्राध्यापकों और छात्राओं के प्रति आभार प्रकट करते हुए इस आयोजन को सफल बनाने में उनके योगदान को रेखांकित किया।