असल न्यूज़: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने के फैसले पर रोक लगाई थी. साथ ही स्पष्ट भी किया था कि डॉग लवर्स चाहें तो इन कुत्तों को गोद भी ले सकते हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लोग आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं, उनके वैक्सीनेशन और इलाज की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पालतू कुत्ते रखने के लिए क्या-क्या नियम और जिम्मेदारियां तय की गई हैं.
कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
अगर कोई व्यक्ति घर में कुत्ता पालता है, तो उसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. चाहे वह स्ट्रीट डॉग हो या किसी नस्ल का कुत्ता. इसके लिए स्थानीय पशु नियंत्रण विभाग में पंजीकरण कराना पड़ता है. इसके तहत निर्धारित शुल्क भी भरना पड़ता है, जो कि शहर के अनुसार तय होती है. रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड, कुत्ते की फोटो और वैक्सीनेशन रिकॉर्ड जैसे दस्तावेज आवश्यक हैं.
टीकाकरण के नियम
कुत्तों का वैक्सीनेशन उनकी सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है. पिल्लों को 6-8 हफ्ते की उम्र से टीके लगने शुरू हो जाते हैं, जिनमें डीएचपीपी और रेबीज शामिल हैं. 6 महीने की उम्र तक बूस्टर डोज दिए जाते हैं. इसके बाद हर साल वैक्सीन लगाना अनिवार्य होता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वालों को ही उनका वैक्सीनेशन कराना होगा, जिससे काटने की घटनाओं से फैलने वाली बीमारियों का खतरा कम हो.
पालतू कुत्तों को पालने की जिम्मेदारियां
सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को ले जाते समय मास्क और पट्टा लगाना अनिवार्य है.
कुत्ते द्वारा की गई गंदगी की सफाई मालिक को ही करनी होगी.
कुत्तों को सुरक्षित रखना, उनकी सेहत, स्वच्छता और प्रशिक्षण की जिम्मेदारी भी मालिक की है.
कई हाउसिंग सोसायटीज में पालतू जानवर रखने के लिए पड़ोसियों की सहमति या NOC लेना पड़ सकता है.
नियमों का पालन न करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है.