असल न्यूज़: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने ही देश की जनता की जान लेने पर तुले हुए हैं. दूसरे देशों से आने वाले सामान पर भारी टैरिफ लगाने से अमेरिकियों की कमर पहले ही टूट चुकी है, अब खबर है कि उन्हें सस्ती दवाओं से भी वंचित करने की तैयारी चल रही है. ट्रंप ने विदेशों में बनी दवाओं पर भारी टैक्स लगाने की योजना बनाई है. यह टैक्स 200 प्रतिशत या उससे भी ज्यादा हो सकता है. जाहिर है कि भारत और अन्य देशों को इससे आर्थिक नुकसान होगा, लेकिन अमेरिकी जनता की क्या हालत होगी, शायद इस बारे में ट्रंप और उनके सहयोगी सोच-समझ नहीं पा रहे हैं. आखिरकार महंगी दवाओं का खर्च तो उन्हें ही वहन करना होगा.
बता दें कि इससे पहले कई सालों तक अमेरिका ने विदेशी दवाओं को बिना किसी टैक्स के अपने देश में आने दिया. लेकिन हाल ही में यूरोप के साथ एक व्यापारिक समझौते में अमेरिका ने यूरोप से आने वाली कुछ दवाओं और अन्य सामानों पर 15 प्रतिशत टैक्स लगाया. यह नई नीति आम लोगों के लिए दवाओं की कीमतों को और महंगा कर सकती है, जिससे उनकी जेब पर बोझ बढ़ेगा.
ट्रंप ने वादा किया था कि वे अमेरिका में दवाओं को सस्ता करेंगे, लेकिन इतना भारी टैक्स लगाने से दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं. इससे दवाओं की सप्लाई में भी रुकावट आ सकती है, क्योंकि सस्ती विदेशी दवाएं अमेरिका में कम हो सकती हैं. इसका नतीजा ये हो सकता है कि दवाओं की कमी हो जाए. वित्तीय सेवा कंपनी आईएनजी के हेल्थ इकॉनमिस्ट डिएडेरिक स्टैडिग ने बताया कि इस तरह का टैक्स आम लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा. अगर दवाओं पर 25 प्रतिशत टैक्स भी लगाया जाए, तो दवाओं की कीमतें 10 से 14 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं. इसका असर उन लोगों पर होगा जो दवाओं के लिए सीधे पैसे चुकाते हैं. साथ ही एक असर यह होगा कि इंश्योरेंस की लागत भी बढ़ जाएगी.
ट्रंप ने दवा कंपनियों पर दबाव बनाया है कि वे अमेरिका में दवाओं की कीमतें कम करें. उन्होंने कई कंपनियों को पत्र लिखकर कहा कि वे ऐसी योजना बनाएं, जिसमें अमेरिका को सबसे कम कीमत पर दवाएं मिलें. उन्होंने यह भी कहा कि वे एक या डेढ़ साल तक टैक्स लगाने में देरी कर सकते हैं, ताकि कंपनियां दवाओं का भंडारण कर सकें और अपनी फैक्ट्रियां अमेरिका में स्थानांतरित कर सकें. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह टैक्स 2026 के बाद लागू होता है, तो इसका असर 2027 या 2028 तक दिख सकता है, क्योंकि कंपनियां पहले से ही दवाओं को स्टोर कर सकती हैं.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप शायद 200 प्रतिशत से कम टैक्स लगाने पर सहमत हो सकते हैं. अमेरिका में बनी दवाओं पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जिसके कारण कई दवा कंपनियां अब अमेरिका में निवेश कर रही हैं. लेकिन अमेरिका में दवा फैक्ट्री बनाना न केवल महंगा है, बल्कि इसमें कई साल भी लग सकते हैं. इसके अलावा, अगर दवाओं के कच्चे माल पर भी टैक्स लगाया गया, तो कंपनियों को पूरी तरह से टैक्स से बचना मुश्किल होगा. इससे दवाओं की कीमतें और बढ़ सकती हैं, जिसका असर आम लोगों पर पड़ेगा.
अभी तक भारतीय सामान पर कितना टैक्स?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगाया है. इसे दो चरणों में लागू किया गया. पहला 25% टैरिफ 1 अगस्त 2025 से और दूसरा 25% टैरिफ 27 अगस्त 2025 से लागू हुआ. अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ भारत के रूसी तेल खरीदने के कारण लगाया गया. इससे कपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रसायन और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए हैं. दवाइयां, सेमीकंडक्टर और ऊर्जा संसाधनों पर अभी तक 50 फीसदी टैरिफ नहीं है.