असल न्यूज़। करोल बाग थाना पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए इलाके में चल रही अवैध मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और IMEI टैंपरिंग यूनिट का खुलासा किया है. ऑपरेशन साइबरहॉक (cyberhawk opertion) नाम के इस विशेष अभियान में पुलिस ने गली नंबर 22, बीडनपुरा स्थित एक बिल्डिंग पर छापा मारकर बड़ी मात्रा में मोबाइल फोन, पार्ट्स और तकनीकी उपकरण जब्त किए. पुलिस को मौके से 1,826 मोबाइल फोन, IMEI बदलने वाला लैपटॉप, WriteIMEI सॉफ्टवेयर, स्कैनर, हजारों मोबाइल बॉडी पार्ट्स और बड़ी संख्या में फर्जी IMEI लेबल मिले. यह पूरा सेटअप एक सुनियोजित तरीके से बनी अवैध असेंबलिंग यूनिट का संकेत देता है, जहां पुराने और नए पार्ट्स को मिलाकर गैर-कानूनी तरीके से मोबाइल तैयार किए जा रहे थे.
करोल बाग पुलिस ने मौके पर मौजूद पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी पुराने मोबाइल फोन कबाड़ी वालों से खरीदते थे और उनके मदरबोर्ड को चीन से मंगाए गए नए बॉडी पार्ट्स के साथ मिलाकर मोबाइल असेंबल करते थे. इसके बाद WRITEIMEI 0.2.2 सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके इन मोबाइल फोनों के IMEI नंबर बदले जाते थे, जिससे उनकी असली पहचान छिपाई जा सके.
कितने साल से चल रहा था अवैध धंधा?
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह रैकेट बीते दो वर्षों से चोरी-छुपे चल रहा था. तैयार किए गए मोबाइल को स्थानीय बाजार में अलग-अलग माध्यमों से बेचा जाता था. IMEI नंबर बदलने की प्रक्रिया न केवल पूरी तरह गैर-कानूनी है, बल्कि ऐसे फोन साइबर अपराधों में भी इस्तेमाल हो सकते हैं. इस कारण पुलिस ने मामले को तकनीकी और साइबर विशेषज्ञों की मदद से गंभीरता से जांचना शुरू कर दिया है. पूरे मामले में करोल बाग थाने में FIR नंबर 1367/25 दर्ज की गई है. आरोपियों पर BNS की धारा 318(4) और 112, IT एक्ट की धारा 65 तथा टेलीकॉम एक्ट 2023 की धारा 42(3)(c) और 42(3)(e) के तहत केस दर्ज किया गया है. पुलिस अब सप्लाई नेटवर्क, पार्ट्स के विदेशी स्रोत, लोकल मार्केट में बिक्री चैन और उन खरीदारों की भी जांच कर रही है, जिन्होंने इन छेड़छाड़ किए गए मोबाइल का इस्तेमाल किया हो सकता है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बरामद किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फॉरेंसिक जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि कितने मोबाइल फोनों के IMEI में बदलाव किया गया और उन का इस्तेमाल कहां-कहां हुआ. यह भी जांच की जा रही है कि आरोपी किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा थे या स्थानीय स्तर पर सीमित दायरे में काम कर रहे थे. इस कार्रवाई के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा कि साइबर अपराध और IMEI टैंपरिंग से जुड़े रैकेट पर नजर रखने के लिए विशेष टीमों को अलर्ट कर दिया गया है. ऐसी अवैध यूनिट्स न केवल कानून का उल्लंघन करती हैं बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी गंभीर चुनौती पैदा करती हैं. पुलिस का मानना है कि इस गिरोह के पकड़े जाने से शहर में चल रहे ऐसे अन्य नेटवर्क के बारे में भी सुराग मिल सकते हैं.

