असल न्यूज़। राजधानी दिल्ली क्राइम केप्टल बन चुकी है जब की दिल्ली पुलिस क्राइम पर लगाम लगाने के लाख दावे करती है वही दिल्ली पुलिस के दावे खोखले साबित होते नज़र आते हैं जिसके चलते दिल्ली फिर बनी खुनी. ये आंकड़ें, जिनमें आए दिन दिल्ली में बढ़ते अपराध की काली सच्चाई दिखाई देती है। अधिकारियों ने बताया की बीते 15 दिनों में राजधानी दिल्ली के अंदर 14 मर्डर हुए हैं। पुलिसिया जांच में सामने आया है कि इन हत्याओं में 17 नाबालिगों के हाथ भी खून से रंगे हुए हैं। ये घटनाएं रोहिणी, पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली और उत्तरी दिल्ली जैसे इलाकों में हुई हैं।
इन हत्याओं के पीछे क्या वजहें?
इन हत्याओं के पीछे कई वजहें सामने आई हैं। इनमें पैसे के झगड़े और लूटपाट से लेकर छोटी-छोटी बातों पर अचानक भड़कना और मामला हत्या तक पहुंच जाना शामिल है। पुलिस डेटा के मुताबिक, कई हत्याएं जानलेवा स्नैचिंग की कोशिशों और लूटपाट के दौरान पीड़ितों के विरोध के दौरान हुए मर्डर हैं। वहीं पर्सनल रिश्तों से पैदा हुए झगड़े, आस-पड़ोस के झगड़ों, आस-पास की सफाई को लेकर हुई बहस के बाद की हत्याएं भी शामिल हैं।
हत्या में इस्तेमाल हथियार चाकू ही क्यों
एक और पुलिस अधिकारी ने कहा, “सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला हथियार चाकू था, क्योंकि यह आसानी से मिल जाता है और खरीदते समय ध्यान नहीं खींचता।” पीड़ितों की प्रोफ़ाइल अलग-अलग सोशियो-इकोनॉमिक लेवल की थी, जिसमें ऑटो-रिक्शा ड्राइवर और दिहाड़ी मज़दूर से लेकर फर्स्ट ईयर लॉ स्टूडेंट तक शामिल थे। कई मामलों में नाबालिग न सिर्फ़ मौजूद थे, बल्कि उन्होंने हमले में एक्टिव भूमिका भी निभाई, जिसमें जानलेवा चोटें पहुंचाना भी शामिल था।
बदला, चोरी या जबरन वसूली
एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि एक मामले में, नाबालिगों ने कथित तौर पर बदला लेने के लिए ऐसा किया क्योंकि उनके बड़े साथियों ने उन्हें जबरन वसूली या चोरी के लिए मजबूर किया था। हालांकि जांच में कोई एक खास तरह का पैटर्न सामने नहीं आया है। अधिकारी ने बताया- “कोई एक पैटर्न नहीं है। कई घटनाएं पहले से सोचे-समझे अपराधों के बजाय गुस्से या उकसावे में की गई जल्दबाजी लगती हैं।

