असल न्यूज़: दिल्ली की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसी संगठित ऑनलाइन पायरेसी गैंग का भंडाफोड़ किया है, जिसने वैध ई-कॉमर्स वेबसाइट का रूप देकर पूरे देश में हजारों छात्रों को पायरेटेड अकादमिक किताबें बेचने का धंधा खड़ा कर लिया था. इस नेटवर्क के जरिए न केवल प्रकाशकों के करोड़ों के कॉपीराइट का नुकसान हो रहा था, बल्कि छात्रों तक घटिया गुणवत्ता की किताबें पहुंच रही थीं.
दिल्ली पुलिस की टीम ने कई दिनों से BookBhandar.in पर नजर रखे हुए थी. वेबसाइट और इंस्टाग्राम पेज देखकर यह एक सही ऑनलाइन बुकस्टोर लगता था जबकि अंदर से यह एक हाई-टेक पायरेसी सिंडिकेट निकला. पहली बड़ी सफलता तब मिली जब मयूर विहार फेज-1 के रहने वाले अनमोल किरो के घर छापेमारी में 42 पायरेटेड किताबें बरामद हुईं.
अनमोल ने ही इस फर्जी वेबसाइट को बनाया था और पेमेंट लेने के लिए FINSKOOL EDUCATION के नाम से बैंक खाता चला रहा था. दरियागंज के फुटपाथ से किताबें खरीदकर वह उन्हें पूरे देश में पोस्ट और निजी कूरियर से भेजता था.
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई में बड़ा खुलासा
दिल्ली पुलिस जब जांच को लेकर आगे बढ़ी तो अनमोल की निशानदेही पर टीम ने गणेश नगर, पांडव नगर में छापा मारा, जहां से 18 टाइटल की 686 पायरेटेड किताबें मिलीं. यह जगह इस नेटवर्क का मिनी-गोदाम बन चुकी थी. जांच में पता चला कि यह सिर्फ एक युवक का बिजनेस नहीं था.बल्कि किताबें छापने से लेकर प्लेट बनाने और पेमेंट घुमाने तक का पूरा गिरोह चल रहा था.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक सुनील कुमार गुप्ता के कमरे से 686 किताबें मिलीं. वही लालन गुप्ता के बैंक अकाउंट में बिक्री का पैसा आता था. नावेद दरियागंज का मुख्य सप्लायर था. कमरान, हौज काज़ी का प्रेस मालिक था जिसने माना कि उसने नावेद के लिए किताबें प्रिंट की थीं. उसकी प्रेस से ADAST Dominant 714 मशीन जब्त हुई. हिलाल मोहम्मद प्लेट और नेगेटिव बनाता था. उसके पास से तीन प्लेटें मिलीं, जिनका इस्तेमाल किताबें छापने में होता था.
इस गिरोह का काम करने का तरीका भी बेहद चौंकाने वाला
दिल्ली पुलिस के मुताबिक इनका काम करने का तरीका सटीक था. इनका काम एकदम प्रोफेशनल वेबसाइट बनाना, ई-पेमेंट लेना, ऑटो-जनरेटेड इनवॉइस भेजना, सस्ती पायरेटेड किताबें खरीदना, और प्रेस-प्लेट के जरिए बड़ी संख्या में किताबें छापकर भेज देना. ग्राहक समझ भी नहीं पाते थे कि वे असली नहीं, नकली किताबें खरीद रहे हैं.
दिल्ली पुलिस की जांच जारी
दिल्ली पुलिस अब पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है ,कि उनके इस गैंग में और कितने लोग शामिल थे. साथ ही इनका यह किताबों का पायरेटेड काम दिल्ली और एनसीआर में कहां-कहां एक्टिव था.

