असल न्यूज़: फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग के डॉक्टरों ने 9 दिसंबर को एक 55 वर्षीय मरीज की जान बचाकर बड़ी सफलता हासिल की है। यह मरीज मधुमेह(डायबिटीज) से पीड़ित था और पीठ पर मौजूद एक छोटे से सेबेशियस सिस्ट (गैर-कैंसरकारी गांठ) को हटाने के लिए दूसरा अस्पताल गया था। सर्जरी साधारण थी, लेकिन करीब छह घंटे बाद मरीज को अचानक बेहोशी आ गई और उनका हृदय काम करना बंद कर गया।
मरीज की गंभीर स्थिति
मरीज को तुरंत सीपीआर दिया गया और कई बार इलेक्ट्रिक शॉक देकर उसे पुनर्जीवित करने की कोशिश की गई। हालत बेहद नाजुक थी, इसलिए वहां के डॉक्टरों ने तुरंत फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग की कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. राशि खरे से संपर्क किया। उन्होंने मरीज का मूल्यांकन करने के बाद उसे तुरंत फोर्टिस लाने की सलाह दी।
फोर्टिस पहुंचते ही बिगड़ी हालत
फोर्टिस शालीमार बाग पहुंचने तक मरीज की स्थिति और खराब हो चुकी थी। वह वेंटिलेटर पर था और शरीर कई गंभीर जटिलताओं से जूझ रहा था। स्कैन से पता चला कि लगातार लंबे समय तक दिए गए सीपीआर के कारण उसके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा है और हृदय भी बहुत कमजोर हो चुका था। मरीज को तुरंत कैथ लैब ले जाकर आपातकालीन एंजियोग्राफी की गई, जिससे ब्लॉक धमनियों में रक्त प्रवाह बहाल किया जा सका। लेकिन इसके बाद भी उसे दोबारा हार्ट अटैक आया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
ECMO का सहारा: जीवन बचाने का बड़ा फैसला
मरीज की हालत देखते हुए मेडिकल टीम ने एक बड़ा निर्णय लिया, उसे ECMO (एक्स्ट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) पर रखने का। ECMO मशीन कुछ समय के लिए हृदय और फेफड़ों की भूमिका निभाती है, जिससे शरीर को आराम मिल सके और अंग फिर से काम करने लगें। एक घंटे के भीतर ECMO शुरू कर दिया गया और पाँच दिनों तक लगातार चलाया गया। धीरे-धीरे मरीज के हृदय और फेफड़ों ने बेहतर काम करना शुरू कर दिया।

