असल न्यूज़: पौराणिक मान्यता के अनुसार, जहां-जहां सती के शरीर के अंग गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। 51 शक्तिपीठों में से एक मध्य प्रदेश के मैहर में त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर मां शारदा का पवित्र मंदिर है। माना जाता है कि सती का हार यहीं गिरा था। इस स्थान पर माता का एक भव्य मंदिर है। मैहर देवी मंदिर अपने चमत्कारों और रहस्यमयी कथा के लिए जाना जाता है। मैहर की मां शारदा के दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
600 फीट की ऊंचाई पर बना है शक्तिपीठ
मां शारदा ज्ञान, बुद्धि और कला की देवी मानी जाती हैं। यहां बड़ी संख्या लोग माता शारदा का आशीर्वाद लेने आते हैं। जो भक्त सच्चे मन से मां शारदे की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसे भक्त अकाल मृत्यु से भी बचते हैं। करीब 600 फीट ऊंचे इस शक्तिपीठ में मां के दर्शन के लिए मंदिर की 1001 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। कार से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
अदृश्य रूप आल्हा और उदल करते हैं पूजा
इस मंदिर को लेकर लोगों का मानना है कि जब इस मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं और पुजारी पहाड़ से नीचे आ जाते हैं, तब वहां कोई नहीं रहता। लेकिन आज भी दो वीर योद्धा आल्हा और उदल अदृश्य रूप से माता की पूजा करने के लिए वहां आते हैं और मंदिर में पूजा करके चले जाते हैं।
कहा जाता है कि आल्हा-उदल ने घने जंगलों वाले इस पर्वत पर मां शारदा के इस पवित्र धाम की खोज की। साथ ही 12 वर्षों तक लगातार तपस्या करके मां से अमरता का वरदान भी प्राप्त किया। इन दोनों भाइयों ने मां को प्रसन्न करने के लिए अपनी जीभ अर्पित कर दी थीं, जिसका प्रतिदान मां शारदा ने उसी समय कर दिया था।