असल न्यूज़: दिल्ली की दमघोंटू हवा खांसी, गले में दर्द और पुराने मरीजों को तकलीफ तो दे ही रही है, इसका खासा असर आंखों पर भी हो रहा है। इसमें उपस्थित महीन कण इस कदर पुतलियों पर चिपकते हैं कि ये आसानी से छूटते नहीं हैं और धीरे-धीरे लोगों में मोतियाबिंद से लेकर अंधापन तक के हालात पैदा कर सकते हैं।
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बीते 10 साल से स्वच्छता अभियान को लेकर दिल्ली नगर निगम की ब्रांड एंबेसडर नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. रूबी मखीजा ने बताया कि दिल्ली में एक्यूआई का स्तर जगजाहिर है। इसमें अगर कोई भी व्यक्ति खुली आंखों से एक या दो घंटे के लिए भी बाहर रहता है तो उसे आंखों में जलन, लालपन, पानी आना या फिर खुजली होने जैसी परेशानी होने लगती है। यह इसलिए क्योंकि हवा में पीएम 2.5 और उससे भी महीन कण तैर रहे हैं जो सांस के जरिए शरीर में तो पहुंच रहे हैं लेकिन यह आंखों की सतह पर भी जा रहे हैं। डॉ. मखीजा ने बताया कि दिल्ली में पिछले कुछ साल में प्रदूषण की वजह से नेत्र रोग ओपीडी में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
कार्नियल रोगों में तेजी से इजाफा
प्रदूषण की वजह से कार्नियल रोगों में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। वह बताती हैं कि मोतियाबिंद के साथ साथ ग्लूकोमा, रेटिना और मैक्युलर डिजनरेशन तक के मामले देखने को मिल रहे हैं। यह एक ऐसा रोग है जो मरीज की केंद्रीय दृष्टि को प्रभावित करता है। इसका मतलब है कि मैक्युलर डिजनरेशन से पीड़ित लोग अपने सामने की चीजों को सीधे नहीं देख पाते हैं। यह आम उम्र से संबंधित आंख की स्थिति अधिकांश 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होती है लेकिन दिल्ली और एनसीआर के शहरों में इससे कम उम्र के मरीज भी देखे जा रहे हैं।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉ. मनोहर बताते हैं कि हम सभी के लिए यह समय काफी चेतावनी भरा है। अभी तक अलग अलग अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि वायु प्रदूषण आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। एम्स के हालिया अध्ययन में पता चला है कि दिल्ली और एनसीआर की हवा में पीएम 2.5 से भी छोटे कण हैं जो विभिन्न जहरीले रसायनों से भरे हुए हैं। जब यह हमारी आंखों के संपर्क में आते हैं तो पुतली की बाहरी और भीतरी सतह पर चिपकने लगते हैं और धीरे धीरे यह अपना प्रभाव दिखाने लगते हैं।
दो से तीन घंटे बंद रखें लैपटॉप
दिल्ली एम्स के डॉ. मनोहर का कहना है कि प्रदूषण के बीच अगर किसी को ऑफिस का काम करते समय आंखों में खुजली, पानी आना या जलन का एहसास हो रहा है तो कम से कम दो से तीन घंटे के लिए अपना लैपटॉप या फिर कंप्यूटर बंद रखें। बार बार थोड़ा पानी का सेवन करते रहें जिससे शरीर डिहाइड्रेशन से बचेगा। घर से बाहर निकलते समय आंखों पर चश्मा जरूर पहनें और एक्यूआई का स्तर अधिक होने पर घर में ही रहने का प्रयास करें। हालांकि घर में रहते हुए इनडोर एक्यूआई का स्तर भी जांच लें। इसमें एयर प्यूरीफाई का सहयोग लिया जा सकता है। जिन घरों में यह नहीं है, वह ठंडे पानी से मुंह धो सकते हैं।
दिल्ली नहीं, बाकी शहरों में भी एक जैसा असर
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का कहना है कि वायु प्रदूषण सिर्फ दिल्ली या फिर एनसीआर के शहरों की समस्या नहीं है। पिछले कुछ समय से यह देश के बाकी शहरों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। इस हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), ओजोन (ओ3), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) और सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) का स्तर काफी अधिक है जो सीधे तौर पर कई तरह के स्वास्थ्य संकट पैदा करता है। हाल ही में एक अध्ययन में पता चला है कि इस हवा में पीएम 1 और पीएम 1.5 माइक्रोन से कम व्यास वाले प्रदूषक हैं जो सांस की नली के साथ साथ आंखों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अध्ययन में वायु प्रदूषण का आंख और कान के स्वास्थ्य से गहरा संबंध पाया गया है। आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमेश आर ने कहा, वायु प्रदूषण के उच्च स्तर, विशेष रूप से कणिकीय पदार्थ के संपर्क में आने से नेत्र संबंधी समस्याएं जैसे नेत्रश्लेष्मलाशोथ, शुष्क नेत्र सिंड्रोम और यहां तक कि पटैरिजियम (कॉर्निया पर एक वृद्धि) होने की आशंका बढ़ जाती है।