झुठे विज्ञापन में फर्जी ईलाज का दावा कर मधुमेह, बीपी, थायराइड, अस्थमा, ग्लूकोमा और गठिया आदि बीमारियों का मरीज कर सही करने का दावा मामला
असल न्यूज़: सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को तलब कि`या है. इस मामले पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और बाबा रामदेव से पूछा क्यों न कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई की जाए. अदालत ने कहा पहली नजर में दोनों ने कानून का उल्लंघन किया है.
कोर्ट ने नोटिस देखकर बार-बार झूठे विज्ञापन रोकने का भी आदेश दिया लेकिन बाबा रामदेव और बालकृष्ण न तो झूठे विज्ञापन बंद किए और न ही कोर्ट को कोई जवाब दिया, जिससे झूठे विज्ञापन देकर इलाज के नाम पर लोगों को भर्मित कर पतंजलि की मधुमेह, बीपी, थायराइड, अस्थमा, ग्लूकोमा और गठिया आदि बीमारियों का मरीज कर सही करने का दावा कर बेच रहे हैं
आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि अपने उत्पादों के विज्ञापन और उनकी औषधीय प्रभावकारिता के बारे में न्यायालय में दिए गए कंपनी के शपथपत्र का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने को लेकर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह उस विज्ञापन पर पतंजलि के खिलाफ उठाए गए कदमों पर अदालत को स्पष्टीकरण दे, जिसमें मधुमेह, बीपी, थायराइड, अस्थमा, ग्लूकोमा और गठिया आदि जैसी बीमारियों से “स्थायी राहत, इलाज और उन्मूलन” का दावा किया गया था.
वहीं इस साल फरवरी में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को रोगों के उपचार के लिए अपने उत्पादों का विज्ञापन करने से अगले आदेश तक रोकते हुए कहा था कि ‘‘पूरे देश के साथ छल किया गया है.’ न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए. अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके अधिकारियों को उपचार की किसी भी पद्धति के खिलाफ प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में किसी भी तरह का कोई बयान देने के खिलाफ आगाह भी किया था.