Electoral Bonds से जुड़ा मेंन स्ट्रीम मीडिया ने दबा दिया!
असल न्यूज़: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सार्वजनिक कर दिया है। नए आंकड़ों में चुनावी बॉन्ड के खरीदार का नाम, भुनाने वाली पार्टी का नाम और बॉन्ड के सीरियल नंबर जैसी अहम जानकारियां भी दी गई हैं।
देश में इन दिनों चुनावी बॉन्ड का मुद्दा गरमाया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ा डेटा प्रकाशित कर दिया है। पिछले दिनों चुनाव आयोग ने पुराने आंकड़ों से अधिक विवरण साझा किए। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से मिले नए आंकड़ों में चुनावी बॉन्ड के खरीदार का नाम, भुनाने वाली पार्टी का नाम और बॉन्ड के सीरियल नंबर जैसी डिटेल भी शामिल है।
आइये जानते हैं कि आखिर किस पार्टी को कितना चंदा मिला?
फ्यूचर गेमिंग
एसबीआई द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा के जरिए चुनाव आयोग ने बताया है कि चुनावी बॉन्ड का सबसे बड़ा खरीददार फ्यूचर गेमिंग कंपनी है। ‘लॉटरी किंग’ सैंटियागो मार्टिन के स्वामित्व वाली कंपनी ने सबसे ज्यादा 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। कंपनी तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके के लिए सबसे बड़ा दानदाता बनकर उभरी।
फ्यूचर गेमिंग ने डीएमके को 509 करोड़ रुपये दिए। इसके बाद आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को लगभग 160 करोड़ रुपये, भाजपा को 100 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 50 करोड़ रुपये दिए गए।
मेघा इंजीनियरिंग
दूसरा सबसे बड़ा दानकर्ता हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा लिमिटेड है। इसने विभिन्न दलों को 966 करोड़ रुपये दिए हैं। कंपनी ने भाजपा को लगभग 586 करोड़ रुपये की सबसे अधिक राशि का दान दिया। मेघा इंजीनियरिंग समूह से बीआरएस को 195 करोड़ रुपये, डीएमके को 85 करोड़ रुपये और वाईएसआर कांग्रेस को 37 करोड़ रुपये, टीडीपी को करीब 25 करोड़ रुपये और कांग्रेस को 17 करोड़ रुपये मिले।
क्विक सप्लाई
राजनीतिक दलों के तीसरे सबसे बड़े दानदाता में क्विक सप्लाई का नाम आता है। इसने 2021-22 और 2023-24 के बीच 410 करोड़ रुपये के बांड खरीदे थे। इसने भाजपा को सबसे ज्यादा 395 करोड़ रुपये का दान दिया। इसके बाद शिवसेना को 25 करोड़ रुपये दिए गए।
टॉप तीन प्राप्तकर्ता
भाजपा
चुनावी बॉन्ड की सबसे बड़ी लाभार्थी केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा रही है। पार्टी को चुनावी बॉन्ड के जरिए पिछले चार वर्षों में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का दान मिला है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी खरीदार हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने भाजपा को लगभग 586 करोड़ रुपये की सबसे अधिक राशि का दान दिया।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग ने भाजपा को 584 करोड़ रुपये, क्विक सप्लाई ने 395 करोड़ रुपये, वेदानता ने 226 करोड़ रुपये और फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये का दान दिया। भाजपा को कोलकाता में एक ही पते वाली तीन फर्मों- केवेंटर्स फूड पार्क, एमकेजे एंटरप्राइजेज और मदनलाल लिमिटेड से भी 346 करोड़ रुपये मिले।
तृणमूल कांग्रेस
चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, ‘लॉटरी किंग’ सैंटियागो मार्टिन की फ्यूचर गेमिंग द्वारा दिए गए दान की सबसे बड़ी लाभार्थी तृणमूल कांग्रेस रही। पार्टी को फ्यूचर गेमिंग से कम से कम 540 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड मिले। इसके अलावा पार्टी को वेदांता समूह, बायोकॉन प्रमुख किरण मजूमदार शॉ, रुंगटा संस प्राइवेट लिमिटेड, फार्मास्युटिकल कंपनी नैटको फार्मा से भी चंदा मिला।
कांग्रेस
125 करोड़ रुपये के दान के साथ वेदांता समूह कांग्रेस के लिए प्रमुख योगदानकर्ता था। फ्यूचर गेमिंग ने देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को 50 करोड़ रुपये दिए। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से कांग्रेस को 17 करोड़ रुपये मिले।
विपक्षी दल को वेस्टर्न यूपी पावर एंड ट्रांसमिशन, एमकेजे एंटरप्राइजेज और यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स, भारती एयरटेल, अपोलो टायर्स, केवेंटर्स, रुंगटा संस प्राइवेट लिमिटेड और टोरेंट फार्मास्युटिकल लिमिटेड से योगदान मिले। बायोकॉन प्रमुख किरण मजूमदार शॉ से भी पार्टी को चंदा मिला।
फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज – 1,368 करोड़ रुपये
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड- 966 करोड़ रुपये
क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड – 410 करोड़ रुपये
हल्दिया एनर्जी लिमिटेड- 377 करोड़ रुपये
भारती ग्रुप – 247 करोड़ रुपये
एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड – 224 करोड़ रुपये
केवेंटर फूडपार्क इंफ्रा लिमिटेड- 194 करोड़ रुपये
मदनलाल लिमिटेड – 185 करोड़ रुपये
डीएलएफ ग्रुप – 170 करोड़ रुपये
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल -162 करोड़ रुपये
उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल- 145.3 करोड़ रुपये
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड – 123 करोड़ रुपये
बिड़ला कार्बन इंडिया- 105 करोड़ रुपये
रूंगटा संस- 100 करोड़ रुपये
वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड – 220 करोड़ रुपये
भारती एयरटेल और उससे संबद्ध कंपनियां – 248 करोड़ रुपये
बिड़ला समूह से जुड़ी कंपनियां – 107 करोड़ रुपये
पिरामल समूह की कंपनियां – 48 करोड़ रुपये
सिप्ला लिमिटेड – 39.02 करोड़ रुपये
जायडस समूह – 29 करोड़ रुपये
भारत बायोटेक – 10 करोड़ रुपये
वेदांता समूह से जुड़ी कंपनियां – 402 करोड़ रुपये
टॉरेंट पावर – 106 करोड़ रुपये
डॉ रेड्डीज – 80 करोड़ रुपये
पीरामल एंटरप्राइजेज ग्रुप – 60 करोड़ रुपये
नवयुगा इंजीनियरिंग – 55 करोड़ रुपये
शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स- 40 करोड़ रुपये
एडलवाइस ग्रुप- 40 करोड़ रुपये
सिप्ला लिमिटेड – 39.2 करोड़ रुपये
लक्ष्मी निवास मित्तल- 35 करोड़
ग्रासिम इंडस्ट्रीज- 33 करोड़ रुपये
जिंदल स्टेनलेस – 30 करोड़ रुपये
बजाज ऑटो – 25 करोड़ रुपये
सन फार्मा लैबोरेटरीज – 25 करोड़ रुपये
मैनकाइंड फार्मा – 24 करोड़ रुपये
बजाज फाइनेंस – 20 करोड़ रुपये
मारुति सुजुकी इंडिया- 20 करोड़ रुपये
अल्ट्राटेक – 15 करोड़