असल न्यूज़: खराब सेब को चमकदार बनाने के लिए वैक्सिंग की जाती है। लेकिन एक चीज मोम से भी ज्यादा खतरनाक है, जो सेब के अंदर हो सकती है। भारत की फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इसे बैन कर रखा है। मगर फिर भी कुछ लोग सेब को पकाने में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे बचने के लिए अथॉरिटी ने सेब को खरीदने का सही तरीका भी बताया है।
सेब पकाने का गलत तरीका: एकदम चमकदार लाल सेब को खरीदने से बचें। इसे खाने से कैंसर जैसी बीमारी पैदा हो सकती है। क्योंकि इसे पकाने में जिस मसाले का इस्तेमाल करते हैं, वो शरीर के लिए काफी खतरनाक है। इसके नुकसान को देखते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने इसे बैन कर रखा है।
जहरीला हो सकता है लाल सेब
मांग को पूरा करने के लिए फलों को केमिकल से पकाया जाता है। FSSAI ने इसके लिए कुछ केमिकल को बैन कर रखा है। जिसमें कैल्शियम कार्बाइड और उससे निकलने वाली एसिटिलीन गैस भी शामिल है। इनसे पका सेब देखने में लाल हो सकता है लेकिन शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक
इस केमिकल से पका सेब कैंसर से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। साइंस डायरेक्ट पर मौजूद एक शोध के मुताबिक लंबे समय तक और ज्यादा मात्रा में इसका सेवन कैंसर के साथ डायबिटीज, इंफ्लामेशन और ऑर्गन डैमेज का खतरा बढ़ा सकता है।
सेब खरीदने का सही तरीका
अगर आप सेब खरीदने जा रहे हैं तो सावधान रहें। आपको प्राकृतिक रूप से पके फल खरीदने चाहिए। उसी दुकानदार से फल खरीदें जो जानकार हो और बिना केमिकल वाले फल बेचने का दावा करता हो। FSSAI ने बताया कि छिलके पर काले धब्बे वाले सेब को न खरीदें। इनकी केमिकल से पके होने की संभावना ज्यादा है।
फल खाने से पहले करें ये काम
सेब या फिर कोई अन्य फल खाने से पहले उसे धोना जरूरी है। इसके लिए चलते पानी का इस्तेमाल करें। फलों को रगड़ें। इससे उनपर जमी गंदगी या खतरनाक केमिकल साफ हो जाएगा। किसी भी चीज को खाने से पहले सफाई का ध्यान जरूर रखें।
सेब पर वैक्स पहचानने का तरीका
सेब पर वैक्स चढ़ाई जाती है। यह भी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
इसे पहचानने के लिए सेब को 10 सेकंड पानी में डुबोएं।
फिर एक सूखा चाकू लेकर सेब को खुरचें।
अगर इससे सफेद रंग की हल्की परत निकल रही है तो यह वैक्स हो सकता है।
इस गैस से पकाए जाते हैं फल
ऐसा नहीं है कि सेब को आर्टिफिशियली पकाना बिल्कुल मना है। एथलीन गैस को इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन FSSAI ने इसके लिए भी सही दिशा-निर्देश दिए हैं। ज्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।