असल न्यूज़: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान किया है. AAP नेता ने कहा है कि वह दो दिन बाद अपनी कुर्सी छोड़ देंगे. अरविंद केजरीवाल करीब 6 महीने जेल में रहे. उस वक्त भी उनके इस्तीफे की मांग उठी. बीजेपी ने इसको खासा मुद्दा बनाया. यहां तक कि संविधान की दुहाई और हेमंत सोरेने का उदाहरण दिया, लेकिन केजरीवाल नहीं झुके. आखिर जेल से छूटते ही केजरीवाल ने क्यों इस्तीफे का ऐलान कर दिया? इसके पीछे क्या रणनीति है, आइये समझते हैं…
केजरीवाल का इस्तीफा एक तरीके से सियासी जुए जैसा है. लोकसभा चुनाव में भले ही AAP का प्रदर्शन बहुत बुरा रहा हो और दिल्ली की सभी सातों सीटों पर हार मिली हो लेकिन विधानसभा के समीकरण अलग हैं. स्थानीय राजनीति में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की धमक है. इस्तीफे के ऐलान से केजरीवाल उस धमक को बरकरार रखना चाहते हैं.
इस्तीफे के पीछे क्या रणनीति?
वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई hindi.news18.com से बातचीत में कहते हैं कि केजरीवाल में हमेशा ‘शॉक वैल्यू’ रही है. वह पहले भी इस तरह लोगों को चौंकाते रहे हैं. पहले इस्तीफा न देकर भी उन्हें अपने तमाम करीबियों को चौंकाया और अब इस्तीफे का ऐलान भी चौंकाने वाला है. केजरीवाल (Arvind Kejriwal) इस ऐलान के जरिये एक तीर से दो निशाना साध रहे हैं. इस्तीफे की मांग करने वालों को जवाब और अपनी लोकप्रियता को बरकरार रखने या भुनाने की कोशिश. वह दिखाना चाहते हैं कि दिल्ली की राजनीति में अब भी उनकी स्वीकार्यता है.
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली लेकिन फ्री हैंड नहीं मिला. ऐसे में राजनीतिक नजरिये से जमानत का कोई खास मतलब नहीं रह गया था. इसीलिये केजरीवाल ने अब इस्तीफे का पैंतरा चला है.
क्या नया CM बनेगा या चुनाव होंगे?
वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल की मंशा दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराने की नजर आ रही है. अभी AAP की पूर्ण बहुमत की सरकार है. अगर केजरीवाल सरकार विधानसभा भंग कर देती है तो उप राज्यपाल के पास कोई चारा नहीं होगा. इस स्थिति में चुनाव कराने होंगे. संभव है कि महाराष्ट्र और झारखंड के साथ चुनाव हों. किदवई कहते हैं कि इस समय दिल्ली में बीजेपी कोई खास मजबूत नहीं है. लोकसभा में भले सभी सीटें जीती हों पर दिल्ली की राजनीति अलग है.
बीजेपी अब कहां खड़ी है?
अरविंद केजरीवाल ने बहुत सोच-समझकर इस्तीफे का ऐलान किया है. दिल्ली में बीजेपी उसकी मुख्य विपक्षी है. अभी बीजेपी का पूरा ध्यान हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनाव पर है. खासकर हरियाणा में पार्टी जूझती नजर आ रही है. ऐसी स्थिति में वह दिल्ली में चुनाव के लिए कतई तैयार नहीं थी. केजरीवाल ने एक तरीके से बीजेपी को चौंका दिया है. किदवई कहते हैं कि केजरीवाल इस स्थिति का फायदा उठाना चाहते हैं. बीजेपी के पास इसकी कोई काट नहीं है, क्योंकि 6 महीने के अंदर चुनाव कराने ही होंगे.
कांग्रेस के लिए फायदा या नुकसान?
केजरीवाल के इस्तीफे से बीजेपी के सामने भले राजनीतिक संकट खड़ा हो गया हो लेकिन कांग्रेस को खास नफा-नुकसान नहीं होगा. कांग्रेस दिल्ली की लड़ाई में कहीं नजर नहीं आ रही है. लोकसभा चुनाव नतीजों ने भी इसकी तस्दीक की. किदवई कहते हैं कि एक तरीके से आम आदमी पार्टी के पास कांग्रेस के रूप में एक बैकअप है. भले ही हरियाणा में दोनों पार्टियों का गठबंधन नहीं हुआ. पर दिल्ली की स्थिति बिल्कुल अलग है. अभी की स्थिति में कांग्रेस भी साथ आना चाहेगी.
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