Saturday, February 15, 2025
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नागा साधु क्यों करते हैं 17 श्रृंगार, जानें लंगोट, भभूत सहित 17 श्रृंगार के नाम और महत्व.

असल न्यूज़: 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ का प्रारंभ हो चुका है। आस्था के इस पर्व में नागा साधुओं का जीवन सभी के लिए उत्सुकता का विषय है। कुंभ में स्नान करने आए नागा साधुओं के जीवन के रहस्यों को ज्यादातर लोग जानना चाहते हैं। नागा साधु मोह माया और सांसरिक जीवन से परे माने जाते हैं। वहीं, नागा साधुओं के बारे में यह बात भी कही जाती है कि उन्हें क्रोध बहुत ज्यादा आता है। इन बातों के अलावा क्या आप जानते हैं कि नागा साधु भी श्रृंगार करते हैं। जी हां, जिस तरह से सुहागिनों के लिए 16 श्रृंगार का विशेष महत्व है। उसी तरह नागा साधुओं के लिए 16 नहीं बल्कि 17 श्रृंगार बताए गए हैं। आइए, जानते हैं नागा साधुओं के श्रृंगार के बारे में।

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मोहमाया से ऊपर उठ चुके नागा साधु क्यों करते हैं 17 श्रृंगार
नागा साधु निर्वस्त्र रहते हैं और सांसरिक मोह माया को त्यागकर भगवान भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहते हैं। नागा साधुओं को इसलिए नागा कहा जाता है क्योंकि नागा का अर्थ खाली होता है। इसका अर्थ है कि नागा साधु केवल भक्ति और अध्यात्म के ज्ञान के अलावा बाकी चीजों को शून्य मानते हैं। इसका एक अर्थ यह भी है कि इन चीजों के अलावा इनका जीवन खाली है, सभी मोह माया से परे हैं लेकिन भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहते हुए नागा साधु 17 तरह का श्रृंगार करने में विश्वास रखते हैं। पौराणिक मान्यता है कि नागा साधु के इन 17 श्रृंगार शिवभक्ति का प्रतीक हैं।

लंगोट, भभूत और चंदन श्रृंगार का महत्व
लंगोट- नागा साधुओं की ललोट सामान्य ललोट से अलग होती है। भगवा रंग की ललोट में जंजीर से बंधा चांदी का टोप होता है।

भभूत- जिस तरह भगवान शिव श्मशाम की भस्म शरीर पर मलते हैं। उसी तरह नागा साधु भी शरीर पर श्मशाम की राख यानी भभूत मलते हैं।

चंदन- भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाया जाता है क्योंकि शिवजी के गले में सर्प होता है। साथ ही शिवजी ने विषपान भी किया था इसलिए विष की तीव्रता को कम करने के लिए शीतलता के लिए शिव को चंदन अर्पित किया जाता है। इस कारण से नागा साधु भी बाजू और माथे पर चंदन का लेप लगाते हैं।

रुद्राक्ष की माला- नागा साधु कई रुद्राक्ष की मालाएं पहनते हैं। वे गले के अलावा बाहों पर रुद्राक्ष की मालाएं पहनते हैं।

तिलक- नागा साधु हमेशा माथे पर लंबा तिलक धारण करते हैं, जो कि शिव भक्ति का प्रतीक माना जाता है।

काजल- नागा साधु आंखों का श्रृंगार भी करते हैं। वे आंखों में काजल या सूरमा लगाते हैं।

ड्डूलों की माला- नागा साधुओं के कमर में ड्डूलों की माला पहनी देखी जा सकती हैं, वो भी उनके श्रृंगार का एक हिस्सा ही है।

पैरों में कड़े- साधु अपने पैरों में लोहे या चांदी का कड़ा पहनते हैं। कई बार इनमें घुघरूं भी लगे होते हैं।

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