असल न्यूज़: दीपक जलाने का सही समय हमारे धर्म में संध्या का समय होता है. संध्या आरती के दौरान ही दीपक लगाया जाता है. कई बार आपने देखा होगा कि दीपक रात के समय में जलता है. इसे शैतानी शक्ति से भी जोड़कर देखा जाता है. दीया जलाने से न सिर्फ अंधकार दूर होता है बल्कि नकारात्मकता भी दूर होती है. पूजा-पाठ के दौरान दीया जलाना और भी श्रेष्ठ होता है. ऐसा कहा जाता है कि दीप जलाने से देवता प्रसन्न होते हैं. अपनी कृपा घर-परिवार पर बनाएं रखते हैं, इसलिए दीपक जलाने के भी कुछ नियम हैं.
घर में पूजा-पाठ के अलावा, नियमित रूप से सुबह और शाम के समय दीपक जलाया जाता है. इसके बारे में शास्त्रों में भी जानकारी दी गई है. संध्याकाल के समय दीपक जलाते हुए अक्सर लोग गलती कर देते हैं. अनजाने में दीपक को ज्यादातर लोग रात में जलाते हैं. आइए जानते हैं कि दीपक कब जलाना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार, दो तरह की पूजा होती है. एक सात्विक और दूसरी तांत्रिक. सात्विक पूजा साधारण लोग करते हैं. वहीं, तांत्रिक पूजा तंत्र-मंत्र करने वाले तांत्रिक या अघोरी करते हैं. सात्विक पूजा का समय सुबह ब्रह्म मुहूर्त से सूर्यास्त तक का होता है. सूर्यास्त के बाद तांत्रिक पूजा का समय शुरू होता है. सूर्यास्त के बाद देवी-देवता विश्राम करते हैं.
कब जलाना चाहिए दीपक
दीपक हमेशा उस समय जलाना चाहिए जब भगवान जाग रहे हों. सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच में ही अपने घर या फिर मंदिर में दीपक जलाना चाहिए. सुबह पूजा के समय दीपक जलाना चाहिए और फिर संध्याकाल की आरती के लिए दीया जलाना चाहिए. रात में दीपक नहीं जलाना चाहिए.
कब नहीं जलाएं दीपक
शाम के समय दीपक तब जलाना चाहिए जब सूर्यास्त हो रहा हो. सूर्यास्त के बाद दीपक जलाना तांत्रिक क्रिया में आता है. ऐसा करने से कोई लाभ नहीं मिलता है. दीपक हमेशा सही समय पर जलाना चाहिए. रात में दीपक जलाने का अर्थ होता है भगवान की नींद में बाधा डालना.