Saturday, July 27, 2024
Google search engine
Homeधर्मPapmochani Ekadashi 2024 Katha: पापमोचिनी एकादशी, विष्णु पूजा के समय पढ़ें व्रत...

Papmochani Ekadashi 2024 Katha: पापमोचिनी एकादशी, विष्णु पूजा के समय पढ़ें व्रत कथा

असल न्यूज़: इस बार पापमोचिनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल दिन शुक्रवार को है. पापमोचिनी एकादशी का व्रत और विष्णु पूजा करने से पाप से मुक्ति मिलती है. इस बार की पापमोचिनी एकादशी पर दो शुभ योग बन रहे हैं, जिसमें पूजा पाठ करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. पापमोचिनी एकादशी के दिन पूजा के समय पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ते हैं, इससे व्रत का पुण्य लाभ मिलता है. चैत्र कृष्ण एकादशी को पापमोचिनी एकादशी होती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा और शुभ योग के बारे में.

पापमोचिनी एकादशी 2024 मुहूर्त और शुभ योग
चैत्र कृष्ण एकादशी तिथि की शुरुआत: 4 अप्रैल, गुरुवार, 04:16 पीएम से
चैत्र कृष्ण एकादशी तिथि की समाप्ति: 5 अप्रैल, शुक्रवार, 01:28 पीएम पर
विष्णु पूजा का मुहूर्त: 06:06 एएम से 10:49 एएम तक
साध्य योग: प्रात:काल से 09:56 एएम तक
शुभ योग: 09:56 एएम से पूरे दिन
पापमोचिनी एकादशी का पारण समय: 6 अप्रैल, शनिवार, 06:05 एएम से 08:37 एएम तक

पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से चैत्र कृष्ण एकादशी के बारे में बताने को कहा. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि चैत्र कृष्ण एकादशी को पापमोचिनी एकादशी के नाम से जानते हैं. जो व्यक्ति इस व्रत को करता है, उसके सभी पाप मिट जाते हैं. एक बार ब्रह्म देव ने नारद मुनि को पापमोचिनी एकादशी की महिमा बताई थी, वह तुम से कहता हूं.

पापमोचिनी एकादशी की कथा के अनुसार, एक चित्ररथ नाम का वन था. उसमें देवराज इंद्र अन्य देवों और गंधर्व कन्याओं के साथ विहार करते थे. एक बार मेधावी ऋषि उस वन में तपस्या कर रहे थे. वे भगवान भोलेनाथ के भक्त थे. एक बार कामदेव ने मंजुघोषा नामक अप्सरा को उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा.

मंजुघोषा के रूप और सौंदर्य को देखकर मेधावी ऋषि अपने मार्ग से विचलित हो गए और उनकी तपस्या भंग हो गई. वे उसके साथ रति क्रीडा करने लगे. देखते ही देखते 57 साल बीत गए. एक दिन मंजुघोषा ने मेधावी ऋषि से वापस देव लोक जाने की अनुमति मांगी. अचानक उनको आत्मबोध हुआ और उन्होंने मंजुघोषा को तपस्या भंग करने और मार्ग से विचलित करने का दोषी माना और उसे पिशाचनी होने का श्राप दे दिया.

उस श्राप को सुनकर मंजुघोषा डर गई और उनसे श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा. तब ऋषि ने उसे चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत रखने को कहा, जिससे उसे पापों से मुक्ति मिल जाएगी. उसके बाद मेधावी ऋषि अवने पिता के पास चले गए. जब पिता को अपने बेटे के दिए श्राप के बारे में पता चला तो उन्होंने उनको भी पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखने को कहा.

मंजुघोष ने विधि विधान से पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की. उस व्रत के पुण्य प्रभाव से वह पाप मुक्त हो गई और वापस स्वर्ग चली गई.

ब्रह्म देव ने नारद जी से कहा कि जो भी व्यक्ति पापमोचिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करेगा, वह पापों से मुक्त हो जाएगा. साथ ही जो व्यक्ति पापमोचिनी एकादशी की व्रत कथा सुनता है, उसके कष्ट और संकट मिट जाते हैं.

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments