असल न्यूज़: शीतला अष्टमी का पर्व भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस दिन माता को मीठे चावलों का भोग लगाया जाता है. खासतौर पर इस दिन मां शीतला को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है और खुद भी बासी और ठंडा भोजन ग्रहण किया जाता है. होली के 7 दिनों बाद शीतला सप्तमी मनाई जाती है. कुछ लोग शीतला अष्टमी भी मनाते हैं शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहा जाता है इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है.
जो लोग शीतला सप्तमी पर माता शीतला की पूजा करते हैं, वे 1 अप्रैल के दिन पूजन करेंगे . शीतला अष्टमी इस साल 2 अप्रैल को है. शीतला माता का उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है. माना जाता है कि इनकी पूजा और ये व्रत करने से चेचक, अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है. शीतला सप्तमी 1 अप्रैल 2024 को है. स्कंद पुराण के अनुसार, देवी शीतला का रूप अनूठा है. देवी शीतला का वाहन गधा है. देवी शीतला अपने हाथ के कलश में शीतल पेय, दाल के दाने और रोगानुनाशक जल रखती हैं, तो दूसरे हाथ में झाड़ू और नीम के पत्ते रखती हैं. माना जाता है कि इनकी पूजा और ये व्रत करने से चेचक, अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है.माता शीतला की आराधना से व्यक्ति को बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
शीतला अष्टमी पूजा विधि
शीतला अष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
एक थाली में एक दिन पहले बनाए गए पकवान जैसे मीठे चावल, हलवा, पूरी आदि रख लें.
पूजा के लिए एक थाली में आटे के दीपक, रोली, हल्दी, अक्षत, वस्त्र बड़कुले की माला, मेहंदी, सिक्के आदि रख लें. इसके बाद शीतला माता की पूजा करें.माता शीतला को जल अर्पित करें. वहां से थोड़ा जल घर के लिए भी लाएं और घर आकर उसे छिड़क दें.माता शीतला को यह सभी चीजें अर्पित करें फिर परिवार के सभी लोगों को रोली या हल्दी का टीका लगाएं. यदि पूजन सामग्री बच जाए तो गाय को अर्पित कर दें. इससे आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी.
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